17 मार्च 2018

...बस आप साथ न छोड़ियेगा

पिताजी, आपको पंचतत्त्व में विलीन हुए आज पूरे तेरह वर्ष बीत गए. इन तेरह वर्षों में परिवार ने बहुत कुछ खोयाबहुत कुछ पाया. परिवार में नए सदस्यों का आगमन हुआ. परिवार का विस्तार हुआ साथ ही बहुत कुछ क्षरण जैसा भी हुआ. हमारी दुर्घटना उसमें से एक है. पैतृक मकान के ध्वंस होने को भी उसमें शामिल किया जा सकता है. इन तेरह वर्षों में व्यक्तिगत रूप से हमने बहुत कुछ देखामहसूस किया है. अच्छा भीबुरा भी. अपना भीबेगाना भी. आप किस रूप में किस-किस के पास, किन-किन लोगों के आसपास होंगेहोंगे भी या नहीं कुछ पता नहीं मगर हमने व्यक्तिगत रूप से आपकी उपस्थिति को बराबर महसूस किया है. कभी जीवंत साक्षात् एहसास के रूप मेंकभी नींद में स्वप्न के रूप में. इसका जिक्र कभी इसलिए नहीं किया क्योंकि आपके नाम पर किसी तरह का तर्क-वितर्क हम नहीं चाहते हैं. 

बहरहाल, पता नहीं इन तेरह सालों में आपको कौन-कौन याद भी रखे होगा? हाँ, आपके बहुत सारे दोस्तों में एकमात्र दादा ऐसे हैं जो आज भी लगभग हर दस-पंद्रह दिन पर एक अभिभावक की तरह हमारी खबर लेने घर आते हैं या फिर फोन कर लेते हैं. आप तो हमारे मोबाइल का उपयोग बहुत कम पाए थे मगर दादा के पास मोबाइल है, वे उसी से हम सबकी खबर ले लेते हैं. घर में सभी लोग आपको भूले नहीं होंगे ऐसा हमारा विचार है. आखिर परिवार आज जिस रूप में है, उसे वैसा बनाने में आपकी भूमिका को कोई भी इंकार नहीं कर सकता है. हालाँकि आपके जाने के बाद हमने बहुत कुछ सहा है और कोशिश की है कि जैसा आप छोड़ गए थे उससे बेहतर न हो सके मगर उससे बदतर न हो पाए. इसमें कितना सफल हुए, कितना नहीं ये आप ही देखिएगा. आपकी दी गई शिक्षाओं ने, आपकी दी गई हिम्मत ने, आपके दिए हुए विश्वास ने कभी टूटने नहीं दिया, हारने नहीं दिया मगर कई बार बहुत अकेलापन लगता है. बहुत बार लगता है कि हारने की स्थिति बन रही है, टूटने की स्थिति आ गई है मगर उस समय आपका साथ हिम्मत बढ़ाता है. आपके आशीर्वाद से कोशिश आज भी यही है कि कुछ बिगड़े नहीं, बस आप साथ न छोड़ियेगा. 

वैसे ये सारी बातें आपको पता तो हैं ही क्योंकि लगभग रोज ही हम आपको सारी खबर देते ही हैं. कौन-कौन आपको आज भी याद रखे है, कौन-कौन भूल गया इस पर आप विचार न करियेगा क्योंकि यदि कुछ भी आपके मनोनुकूल न हुआ तो आपको कष्ट होगा. इसके आकलन के लिए हम हैं न. आप बस जहाँ हैं वहां से हम सभी को आशीर्वाद देते रहिये कि कभी गलत काम न करें, कभी दुखी न रहें, कभी असफल न रहे, कभी आपस में ग़लतफ़हमी का शिकार न हों. समूचा परिवार सिर्फ आपका बनाया हुआ है, कोई माने या न माने. आपकी अमूल्य कुर्बानियों ने परिवार के वर्तमान रूप का निर्माण किया है, उसका विस्तार किया है. इसे संवारने का, संरक्षित करने का, पल्लवित-पुष्पित करने का दायित्व हमारा है और हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि आपको निराश नहीं होने देंगे.


कुछ विशेष आयोजनों के चित्र, जो आपकी उपस्थिति का एहसास कराते रहते हैं.

परिवार के साथ 

अम्मा-पिताजी 


पिताजी अपने माता-पिता और भाइयों संग 

होली का हुड़दंग 

होली का हुड़दंग 

अपनी बिटिया के वैवाहिक कार्यक्रम में - भोपाल में 

अपने दामाद और भाइयों संग - भोपाल में 

भोपाल में मना लिया जन्मदिन, पिताजी के भाइयों ने 

चारों भाई एक साथ 

अपनी बिटिया संग - भोपाल में 


हम सबने पहली बार पिताजी की आँखों में आँसू देखे - आखिर बिटिया की विदाई थी 

एक और वैवाहिक समारोह की शुरुआत 

पिताजी ने पहली बार मनाया जन्मदिन - अपनी बहू का

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