समय
ब्लैक एंड व्हाइट के ज़माने से रंगीन से गुजरता हुआ बहुरंगी होता चला गया. विकास की
दौड़ में शामिल होकर श्रव्य के साथ दृश्य भी जुड़ते चले गए. एकमात्र चैनल के मनोरंजन
से सजे भारी-भरकम टीवी की दुनिया असंख्य चैनलों के साथ स्लिम से स्लिम टीवी के साथ
आगे बढ़ती रही. वीडियो पर कभी-कभार एकसाथ तीन-तीन, चार-चार फ़िल्में देख डालने के
सुख का विकास इतना हुआ कि अब हर हाथ में मोबाइल के सहारे चौबीस घंटे का नियमित वीडियो
उपलब्ध हो गया. सेल्युलाइड की दुनिया वीनस गर्ल से निकल कर धक-धक गर्ल, मिर्ची
गर्ल, कांटा गर्ल, चोली गर्ल की राह से गुजरती हुई नग्न-अर्धनग्न कमनीय बालाओं के
साथ लगातार आगे बढ़ती रही. विकास की राह पर किसी-किसी मामले में शून्य से आरम्भ
होकर अनंत की दिशा में जाने के साथ-साथ लगातार कई-कई पीढ़ियाँ भी आती रहीं, विलीन
होती रहीं. इन सबके बीच भी लोगों के स्वभाव बदले, रुचियाँ बदलीं, पसंद बदलीं, पसंदीदा
व्यक्ति बदले. इस बदलाव के दौर में यदि कुछ बदलता न दिखा तो वो है प्रसिद्द
अभिनेत्री मधुबाला के प्रति लोगों का आकर्षण. अपने समय में वीनस गर्ल के रूप में
मशहूर मधुबाला के प्रशंसक आज भी उतने ही मिल जाते हैं, जितने कि उनके दौर में
मिलते होंगे. उम्र, व्यवसाय, जाति, धर्म, कार्य, क्षेत्र से इतर आज भी मधुबाला के
प्रशंसकों में कमी नहीं आई है. और ऐसा तब है जबकि उनको इस दुनिया को हमेशा-हमेशा
को अलविदा कहे हुए आधी सदी होने को आई है.
समाज
में और लोगों के बारे में क्या कहा जाए, हम जब खुद अपने को देखते हैं तो आश्चर्य
होता है. हमारे इस संसार में आने के चार-पांच साल पहले मधुबाला इस संसार को अलविदा
कह गई थी. हमारे समय की और उसके बाद जन्मने वाली पीढ़ी ने मधुबाला को सिर्फ परदे पर
ही देखा है, टीवी पर देखा है और अब इंटरनेट के माध्यम से कई-कई सोशल मीडिया मंचों
पर देख रही है. इस पीढ़ी ने कभी भी उनको लाइव रूप में नहीं देखा है, किसी कार्यक्रम
में उनसे परिचय नहीं हुआ है, किसी समारोह में उनके साथ फोटो खिंचवाने का अवसर नहीं
मिला है, किसी आयोजन में उनके ऑटोग्राफ लेने का मौका भी नहीं मिला है इसके बाद भी मधुबाला
की मनमोहक छवि इस पीढ़ी के बीच भी जीवित है. इंटरमीडिएट तक की शिक्षा के दौरान
घर-परिवार में ही रहना हुआ. उसी दौरान परिवार के अनुशासन में जितना टीवी, वीडियो
देखने को मिला उसी में पुरानी फिल्मों को खूब देखने का अवसर मिला. उस समय बहुत सारे
अभिनेता-अभिनेत्रियों के बीच मधुबाला सर्वाधिक आकर्षक महसूस हुईं. हँसने का अंदाज,
आँखों की शरारत और उनकी अदाकारी ने उनके प्रति अजब सी दीवानगी पैदा कर दी थी. घर
के अनुशासन में, छोटे से घर में कभी हिम्मत ही नहीं कर सके कि मधुबाला के पोस्टर
कमरे की दीवारों पर लगा सकते किन्तु पत्रिकाओं में, अख़बारों में कभी-कभी निकलती
फोटो किताबों, कापियों की शोभा बनती. किताबों, कापियों के कवर के रूप में भी
कभी-कभी मधुबाला का चित्र आँखों के सामने दिखता रहता. बाद में आगे की पढ़ाई के लिए
जब बाहर निकलना हुआ तब अपनी इस इच्छा को जीभर कर पूरा किया गया. हॉस्टल के अपने
कमरे में अलग-अलग अंदाज में मधुबाला अवतरित होने लगीं.
हमारे
घर वाले, कई रिश्तेदार, मित्र आदि हमारे इस शौक या कहिये कि दीवानगी पर खूब हँसा
भी करते. खूब मस्ती भी किया करते. एक मामा जी तो यहाँ तक कहे कि बेटा कितनी भी
तपस्या कर लो, अब ये न मिलने वाली. कई सारे दोस्त हमारे इस शौक पर मौज लिया करते
कि शादी के बाद मधुबाला की एक फोटो भी न लगा पाओगे, पोस्टर तो बहुत बड़ी बात है. ये
दीवानगी ही कही जाएगी कि आज शादी को भी चौदह साल हो गए हैं मगर कमरे में मधुबाला
अपने पूरे सौन्दर्य के साथ ज्यों की त्यों उपस्थित हैं. तकनीकी दौर ने हाथों में मोबाइल
पकड़ाया तो मधुबाला कमरे के साथ-साथ वहाँ भी उपस्थित रहने लगीं. संभव है कि आज की
एकदम नवोन्मेषी पीढ़ी ने सौन्दर्य के प्रतिमान बदल दिए हों. उसके लिए सौन्दर्य का सम्बन्ध
कम वस्त्रों से, कामुक मुद्राओं से, अर्धनग्न प्रदर्शन से, आधुनिकता के नाम पर
फूहड़ता से होने लगा हो किन्तु इसके बाद भी बहुतायत में ऐसे युवा आज भी मिलते हैं
जो मधुबाला के प्रशंसक हैं. आज २३ फरवरी को मधुबाला की पुण्यतिथि है. उनको
श्रद्धा-सुमन इस आकांक्षा के साथ कि उनका अप्रतिम मनमोहक रूप-सौन्दर्य सदैव समाज
में अंकित रहे. वीनस गर्ल के रूप में उनकी छवि और भी चमकती रहे.
1 comment:
बढ़िया आलेख
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