आज राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह का अंतिम दिन है. हमारे देश में प्रत्येक
वर्ष 11 जनवरी से 17 जनवरी तक यह सप्ताह मनाया जाता है. राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह
के अंतर्गत आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के द्वारा जनता को यातायात से सम्बंधित नियमों
की आधारभूत जानकारी दी जाती है. शहरीकरण और सड़क यातायात बढ़ने के कारण सड़कों पर आये
दिन लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जहाँ सड़क दुर्घटनाओं
में सबसे अधिक लोग मारे जा रहे हैं. इस कारण सड़क सुरक्षा बहुत ही गंभीर मुद्दा बनता
जा रहा है. सरकारें भी सुरक्षा के मुद्दे और इनके समाधानों पर गंभीरता से विचार कर
रही हैं. अनुमान के अनुसार भारत में प्रति मिनट एक सड़क दुर्घटना और प्रति चार मिनट
में सड़क दुर्घटना से एक मौत होती है. सड़क दुर्घटनाओं के विश्लेषण से पता चला है कि
78.7 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं चालकों की गलती से होती हैं. इसके पीछे उनका नशीले पदार्थों
का इस्तेमाल करना, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना,
वाहनों में आवश्यकता से अधिक भीड़ होना, निर्धारित
गति से अधिक तेज़ वाहन चलाना आदि होना है.
चालकों की उक्त गलतियों या कहें कि लापरवाहियों के साथ-साथ उनका यातायात
के नियमों के प्रति संवेदनशील न होना भी दुर्घटना को बढ़ावा देता है. यातायात
सम्बन्धी नियमों की अवहेलना करना, गलत तरीके से पार्किंग करना, बिना किसी तरह के
संकेत दिए गाड़ी को मोड़ना या फिर रोक देना भी दुर्घटना का कारण बनता है. वर्तमान
में युवाओं में एक तरह का फैशन चल पड़ा है तीव्र गति से गाड़ी को, कार को, बाइक को
दौड़ाना. इसके चलते वाहन अनियंत्रित हो जाता है. ऐसी स्थिति में जरा सी गलती भी सड़क
पर दुर्घटना को जन्म देती है. दुर्घटनाओं के आँकड़े देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा,
राज्य सरकारों द्वारा सड़क सुरक्षा के विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं. सड़क परिवहन
और राजमार्ग मंत्रालय ने देश में सड़क दुर्घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए विभिन्न
उपाय किये हैं-
- सरकार ने एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति मंजूर की गई है. इसमें विभिन्न उपायों से जागरूकता बढ़ाना, सड़क सुरक्षा सूचना पर आंकड़ें एकत्रित करना, कुशल परिवहन अनुप्रयोग को प्रोत्साहित करना तथा सुरक्षा कानूनों को लागू करना शामिल है.
- सड़क सुरक्षा पर चार स्तरों- शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग (सड़क और वाहनों) और आपात देखभाल के स्तर पर सुदीर्घ नीति अपनाई गई है.
- विभिन्न चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्ग, एक्सप्रेस मार्गों पर सुरक्षा लेखा/आंकड़ें भी एकत्रित किये जा रहे हैं.
- वाहन चालकों को प्रशिक्षण देने के लिए संस्थान स्थापित किए गए हैं.
- वाहन चलाते समय सुरक्षा उपायों, जैसे- हेलमेट, सीट बैल्ट, पॉवर स्टेयरिंग, रियर व्यू मिरर और सड़क सुरक्षा जागरूकता से संबंधित अभियान पर जोर दिया जा रहा है.
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नवीन उपायों के तहत सड़क सुरक्षा सप्ताह, दूरदर्शन और रेडियो नेटवर्क से प्रचार, सड़क सुरक्षा पर सामग्री का प्रकाशन, वितरण, समाचार पत्रों में विज्ञापन तथा सड़क सुरक्षा पर सेमिनार, सम्मेलन और कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है.
- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कक्षा छह से कक्षा बारह के पाठ्यक्रम में ऐसे लेख शामिल किए हैं जिनसे सड़क सुरक्षा की जानकारी मिलती है. राज्य सरकारों को राज्य शिक्षा बोर्ड के स्कूलों के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा से संबंधित लेख शामिल करने की सलाह भी दी गई है.
इसके बाद भी अभी जनमानस में सड़क सुरक्षा के प्रति पर्याप्त जागरूकता नहीं
आ सकी है. हम सभी को अपनी सुरक्षा की दृष्टि से सड़क सुरक्षा सम्बन्धी नियमों का
पालन हरहाल में करना चाहिए. हम सभी को अपनी जान की कीमत समझनी चाहिए. प्रत्येक
इन्सान से न केवल वह खुद वरन उसका परिवार जुड़ा होता है. यदि इसे देश की कीमत पर
जोड़ा जाये तो प्रत्येक व्यक्ति का सम्बन्ध देश से भी होता है. किसी एक व्यक्ति की
मृत्यु देश की हानि होती है. ऐसे में अपने परिवार के नुकसान को बचाने के लिए, अपने
देश की क्षति रोकने के लिए हम सबको सजग रहने की जरूरत है. सड़क पर खुद को सुरक्षित
रखना है, सड़क पर चलने वालों को सुरक्षित रखना है. यदि हम सड़क सुरक्षा से सम्बंधित
नियमों का ईमानदारी से पालन करने लगें तो सड़क दुर्घटनाएं भले ही समाप्त न हो सकें
मगर कम अवश्य हो जाएँगी.
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