09 नवंबर 2016

नकली मुद्रा पर सरकारी चाबुक

भारत सरकार द्वारा पाँच सौ और एक हजार रुपये के नोट का बंद किया जाना न केवल देश को वरन उसके पड़ोसी देशों को भी प्रभावित करेगा. ये सुनने-पढ़ने में भले ही अजीब अथवा हास्यास्पद सा लगे किन्तु एक सत्य ये भी है. असल में विगत कई वर्षों से भारतीय अर्थव्यवस्था नकली मुद्रा के साथ-साथ अवैध रूप से देश में आई मुद्रा से जूझ रही थी. विगत सरकारों द्वारा अनेक तरह से इस पर अंकुश लगाने के उपाय किये गए परन्तु अंतिम रूप से कोई भी प्रभावी कदम किसी के द्वारा भी नहीं उठाया गया. देश में उसके कई पड़ोसी देशों के द्वारा बड़े पैमाने पर नकली मुद्रा भेजी जा रही थी. इसके अलावा आतंकी घटनाओं के लिए, ड्रग्स व्यापार के लिए, हथियारों के सौदागरों द्वारा भी नकली मुद्रा के साथ-साथ अवैध रूप से मुद्रा का आदान-प्रदान किया जा रहा था. ऐसे में सरकार द्वारा नोटों का प्रचालन बंद किया जाना इन सभी माध्यमों को प्रभावित करेगा. 



सरकार द्वारा उठाये गए ऐसे किसी कड़े कदम की आर्थिक रूप से समीक्षा करने के साथ-साथ इसके सामाजिक और राजनैतिक प्रभाव का आकलन भी किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है. विस्तार में चर्चा न करते हुए यदि बिन्दुवार सरकार के इस कदम का अध्ययन किया जाये तो कुछ महत्त्वपूर्ण सूत्र सामने आते हैं.

(1) देश में लम्बे समय से आर्थिक क्रियाओं में संलिप्त नकली मुद्रा एकदम से निष्प्रभावी हो गई है. सरकार द्वारा बिना किसी सूचना के, बिना पूर्व घोषणा के नोटों के बंद किये जाने से काले कारोबारियों को, नकली मुद्रा के ठेकेदारों को अपनी मुद्रा को खपाने का अवसर नहीं मिल सका है. अब वे सिर्फ बैंक के माध्यम से ही अपनी मुद्रा को बदल सकेंगे या जमा कर सकेंगे. ऐसे में देश को सिर्फ असल मुद्रा ही उपलब्ध हो सकेगी.

(2) मुद्रा के बंद किये जाने से एक झटका उनको भी लगा है जो नकली मुद्रा छापने के काम में संलिप्त थे. उनके द्वारा लगातार छापे जा रहे नकली नोट अब रद्दी के टुकड़े के बराबर कीमत के हो गए हैं. नकली नोटों के कारोबारियों के द्वारा जहाँ बहुत सारा कागज, स्याही खर्च करी जा चुकी होगी वहीं अब नयी मुद्रा की काट निकालना, उसे छापना भी सहज नहीं होगा.

(3) आतंकवाद के रास्ते, ड्रग्स के द्वारा, अवैध कारोबार के द्वारा जो मुद्रा देश के भीतर भेजी गई है उसका उपयोग किसी भी रूप में नहीं हो सकेगा. इसका कारण मूल रूप से ऐसे मामलों में मुद्रा का अवैध रूप प्रयुक्त किया जाना है. ऐसी मुद्रा का उपयोग किया जाना जहाँ अपराधियों को सामने लायेगा वहीं मुद्रा की असलियत भी सामने लायेगा.

(4) बड़े नोटों के बंद किये जाने और नए नोट के चलन में आने से राजनीति में भी इसका सकारात्मक असर डालेगा. इससे निकट भविष्य में होने वाले चुनावों के समय धनबल की अधिकता देखने को नहीं मिलेगी. अवैध रूप से कमाए गए धन की अब कोई अहमियत नहीं होगी. ऐसे में धनबल से चुनावों को, मतदाताओं को प्रभावित करने वाले अपने प्रभाव को नहीं दिखा सकेंगे.

(5) नोटों के बंद किये जाने से और नई मुद्रा के चलन में आने से देश की आर्थिक स्थिति के सकारात्मक रूप से बढ़ने की सम्भावना है. अर्थव्यवस्था में ऐसे कदम के बाद सिर्फ असली मुद्रा का ही परिचालन हो रहा होगा. नकली नोटों का अस्तित्व जब अर्थव्यवस्था पर नहीं होगा तो अनेकानेक नकली कारोबारियों पर स्वतः अंकुश लगेगा.


केंद्र सरकार द्वारा नोटों को बंद किये जाने सम्बन्धी कदम उठाये जाने से प्रथम दृष्टया नागरिकों को परेशानी होना दिखाई देता है किन्तु ऐसा एक सप्ताह से अधिक नहीं होगा. बैंकों द्वारा मुद्रा को बदला जा रहा है, जमा किया जा रहा है, ऐसे में लोगों को बैंक से पुरानी मुद्रा के बदले नई मुद्रा मिल जाएगी. इसके साथ-साथ नई मुद्रा शीघ्र ही चलन में आएगी, जिसके आने के बाद एटीएम द्वारा, बैंक द्वारा सहजता से मुद्रा की निकासी की जा सकेगी. एकबारगी समस्या भले ही दिख रही हो किन्तु देशहित में सरकार के इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए. इस फैसले से देश की आर्थिक स्थिति सशक्त होगी और निकट भविष्य में इसके सुफल देखने को मिलेंगे. 

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