09 जुलाई 2013

प्रातः-स्मरणीय आतंकियों को कुछ सलाह



सम्मानित, महान और प्रातःस्मरणीय आतंकवादियो,
सादर नमन
आपकी आत्मघाती जीवटता के चलते ही आपको सम्मानित, महान और प्रातःस्मरणीय से संबोधित किया जा रहा है. इसमें आप या आपके समर्थक कहीं कोई कनेक्शन न ढूंड़ने लगिएगा क्योंकि आप लोग भले ही कोई कनेक्शन न सोचें पर आपके प्रति घनघोर श्रद्धा-भक्ति रखने वाले आपके पैरोकार और किसी के परम चाटुकार अवश्य ही कोई कनेक्शन खोज निकालेंगे.

बहरहाल, आपको अवगत कराना है कि आप आगे से बेधड़क होकर अपना धमाकेदार कार्यक्रम देश में कहीं भी अंजाम दे सकते हैं. वैसे तो आप लोगों के पास सम्पूर्ण विश्व में घूमने और पटाखे फोड़ने की आज़ादी है पर हमारे भारत देश में अब ये और भी सहज-सुलभ हो गया है. नाहक ही आप लोग इतनी सुबह, कभी देर रात काम करते हैं; कभी इतनी हड़बड़ी में होते हैं कि कई-कई बम बिना फूटे ही रह जाते हैं; कभी महीनों हो जाते हैं और आप लोग पटाखों की आवाज़ हम लोगों को नहीं सुनवाते हैं. हम आपको अब विश्वास दिलाना चाहते हैं कि आपके रास्ते यहाँ बहुत आसान हैं.
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१ - यहाँ आपके संगठन के अलावा और भी बहुत से लोग हैं जो आपके लिए पलक-पाँवड़े बिछाए रहते हैं. किसी के लिए आप माननीय होते हैं, तो किसी के लिए आप लोग बेटी-भाई होते हैं, किसी की आँखें आपके एनकाउंटर पर जार-जार रोती हैं.
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२ – हमारे देश के राष्ट्रीय स्तर के बहुत से नेता ऐसे हैं, जिनकी आँखों में आपके प्रति विशेष स्नेह है. वे आपके रूप में हमारे देश के नागरिकों को वोट-बैंक के रूप में स्थापित कर अपना उल्लू सीधा करते रहते हैं. अपने वोट-बैंक को साधने के लिए वे कभी भी खुलकर आपके खिलाफ बोलने की जहमत ही नहीं उठा सकते, कार्यवाही क्या खाक करेंगे.
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३ – इस देश का आला सरकारी तंत्र इस तरह से मौन धारण किये है कि कुछ भी, कितना भी हो जाये वहां से कोई आवाज़ ही नहीं आती. ये तो आप विगत वर्षों से देख ही रहे हैं कि यहाँ ‘सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी’ ‘हम ऐसी कायराना हरकतों से डरने वाले नहीं’ ‘किसी को छोड़ा नहीं जायेगा’ आदि-आदि जुमलों का ही प्रयोग किया जाता रहा है.
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४ – अब हमारे नेतागण एक कदम और आगे आ गए हैं. वे चाटुकारिता की हद से आगे निकल कर बजाय कोई ठोस कार्यवाही करने के आतंकियों के कनेक्शन निकालने लगे हैं; रिश्तेदारी बताने लगे हैं. अब ऐसे में काहे का डरना, आओ आराम से और निपटा कर चले जाओ.
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५ – एक बात और, अब बेधड़क, खुलेआम घूमो, अब कोई आपके बारे में एलर्ट जारी करने की, पूर्व-सूचना देने की हिम्मत ही नहीं करेगा. अब यहाँ की राजनीति के चपेटे में सुरक्षा एजेंसियां भी आ गईं हैं. कोई एक के ऊपर हाथ रखे है, कोई दूसरी को अपने पिंजरे में पाले है, कोई खुद को लावारिस सा समझ रही है. अब जब पूर्व-सूचना को गलत बताया जाता है, किसी भी तरह की पकड़ा-धकड़ी पर उसे जबरन हस्तक्षेप बताया जाता है तो कोई काहे को सूचनाओं को एकत्र करेगा.
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६ – हाँ, अब यहाँ मरने का खौफ लेकर तो बिलकुल न आना. पहली बात तो कोई पकड़ने वाला या मारने वाला ही नहीं क्योंकि यहाँ सुरक्षा तंत्र तभी प्रभावी होता है जब उसे आलाकमान से आदेश मिलता है और आज के दौर में आलाकमान अपना वोट-बैंक देखती है. अब मान लो मुठभेड़ हो भी गई तो पहले तो ये पकड़ने का काम करते हैं, सबूतों को एकत्र करने के लिए (पता नहीं आचार रखते हैं क्या?) यदि पकड़ गए तो दस-पंद्रह वर्ष आराम से बिरयानी खाना, मौका लग जाए तो कहीं से चुनाव लड़ने का भी जुगाड़ भिड़ा लेना. कहीं धोखे में यदि मार डाला गया तो संभव है कि आपके घर-परिवार वालों को आर्थिक मदद मिल जाए क्योंकि यहाँ ये साबित करने वाले भी बहुत हैं कि आपको फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मारा गया.
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७ – इस बार बौद्ध धर्म स्थल पर आपके हमले ने आपको अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान कर दिया. आपको बुद्ध प्रतिमा नष्ट कर डालने वाले तालिबानों के समकक्ष खड़ा कर दिया गया पर कहाँ तालिबान और कहाँ आप लोग. हम जानते हैं कि आप लोग तो मजहब के नाम पर अपने आपको कुर्बान कर रहे हो; जिहाद कर रहे हो. वैसे ये सही किया, अभी तक इधर-उधर छुटपुट बम फोड़ने से, हिन्दू धर्म-स्थलों पर धमाके करने से आप लोगों की कोई पहचान थोड़े बन रही थी बल्कि यहाँ के चाटुकार नेताओं ने आप लोगों का प्रतिद्वंद्वी ‘भगवा आतंकवाद’ और खड़ा कर दिया था. अब बौद्ध स्मारक पर हुए धमाके से लोगों को, चाटुकारों को भी लगा कि आपने धर्म पर हमला किया है, संस्कृति पर हमला किया है. ये आपके लिए गौरव की बात है.
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तो फिर आप सब निसंकोच, बेधड़क, निर्द्वंद्व होकर अपने पटाखे बनाओ और फोड़ते रहो. इस बार के धमाके में कोई मरा ही नहीं, इससे लगा कि बहुत ज़ल्दबाज़ी और हड़बड़ाहट में थे आप लोग...तभी तीन बम बिना फूटे भी रह गए और कोई मरा भी नहीं. चिंता न करो, यहाँ क्या है, अत्यधिक जनसँख्या है..कुछ सैकड़े मर भी गए तो कौन सा तूफ़ान आ जायेगा. बस नेताओं को न मार डालना क्योंकि वे तो देश चलाते हैं, वे मर गए तो देश कौन चलाएगा?
आपको नमन करता आपका शुभचिंतक

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