23 मई 2013

चमकदार असफलता की असफल पार्टी



विगत नौ वर्षों से अपनी (अन)उत्कृष्ट सेवाएँ देने वाली संस्था के द्वितीय पंचवर्षीय सत्र का वार्षिक रिपोर्ट कार्ड पेश किया जाना है. शानदार पार्टी की तैयारियां चल रही हैं, तमाम कारिंदे इधर से उधर भागदौड़ करते दिख रहे हैं.  Useless Progressive Academy (UPA) नाम की ये संस्था पंचवर्षीय कोर्स का सञ्चालन करती है, जिसमें कई तरह की सेवाएँ दी जाती हैं, कई तरह की सेवाएँ ली जाती हैं. इसमें अपना प्रोडक्ट बनाने के बारे में, उसे बाज़ार में उतारने के बारे में, एक के दो-दो के चार करने के तरीके............ बस..बस... बाकी बाद में.... संस्था की निदेशक मैडम अपने तमाम सहयोगियों के साथ उपस्थित हो चुकी हैं. अब उनका विवरण... संस्था के बारे में बाद में...
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मैडम बड़ी ठसक के साथ अपने हुल-हुल बाबा का हाथ पकड़ कर चल रही हैं. हुल-हुल बाबा बहुत बड़ी जिम्मेवारी ले चुके हैं किन्तु गाहे-बगाहे अपनी मम्मी का हाथ पकड़े ही दिखाई देते हैं. (हाथ छोड़ दो तो कुरते की बाहें ऊपर चढ़ाने लगते हैं, अब ये सब यहाँ पार्टी में तो शोभा देता नहीं है, न!) मैडम के साथ उनके परमप्रिय डॉगी सिंह, कपि महाराज, खुर रसीद भी आते दिख रहे हैं......अरे ये क्या! मैडम द्वारा अपनी Academy के मंदिर में थोपे गए (इसे स्थापित किये गए भी पढ़ा जा सकता है) मौनी बाबा कहीं नजर नहीं आ रहे? ऐसा हो नहीं सकता कि एकेडेमी की कोई पार्टी हो और मौनी बाबा न दिखें. पत्रकारों में खुसुर-पुसुर होने लगी, इस बात को लेकर क्योंकि उनके अलावा और सभी लोग दिख रहे थे. कुछ खोजी टाइप के मीडियाकर्मी एक्टिव हुए और पता कर ही पाए ये ब्रेकिंग न्यूज़.....पता चला कि पगड़ी मैडम के मनपसंद रंग की तो पहन ली थी मगर जैकेट हुल-हुल बाबा के मनपसंद रंग की नहीं थी, सो बदलने वापस जाना पड़ा...अब सज-संवर कर, चेहरे पर कुन्तलों बोझ सा लादे एकेडेमी के कार्यवाहक मौनी बाबा भी उपस्थित हो गए. मैडम, हुल-हुल बाबा और मौनी बाबा एक जगह, एकसाथ विराजमान हो गए..बाकी लोग इधर-उधर टहलते हुए लोगों से मेलजोल बढ़ाने में लगे थे...कुछ चापलूसी टाइप की हरकतों में व्यस्त थे....कुछ ब्रीफकेस इधर से उधर सरकाने में लगे थे...कुछ इन चार सालों में अपने बनाये प्रोडक्ट के बारे में समझाने में मशगूल थे.
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कोई अपने कामनवेल्थ खिलौने के बारे में समझा रहा है तो कोई स्पेक्ट्रम का सिद्धांत बताने में लगा है. किसी ने मौका ताड़कर बताया कि कैसे कोयले को बिना उपयोग में लाये भी उससे ऊर्जा पैदा की जा सकती है और इस ऊर्जा से धन भी उपजता है. मैडम मंद-मंद मुस्कुराते हुए अपने हुनरमंद विद्यार्थियों को निहार रही थी. इस बीच किसी ने मैडम को परेशान करने वाला सवाल दाग दिया कि इतनी सारी उपलब्धियों के बीच आपको रसोई गैस और पेट्रोलियम पदार्थों में प्रयोग करने की जरूरत क्या पड़ी? मैडम कुछ आहत सी हुईं और बड़े लाड़ से अपने हुल-हुल बाबा के सर पर हाथ फेरते हुए बोली, “इसकी खातिर...ये बेचारा सब्सिडी का बोझ नहीं उठा पा रहा था. देख नहीं रहे आप लोग...कैसे दाढ़ी बढ़ाये घूमता रहता है...कभी मजदूरों के साथ मिट्टी के तसले उठाता है तो कभी गरीबों के साथ खाना खाने लगता है. अब देखा आपने जबसे ये प्रयोग किया है, तबसे सही सलामत है.”
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एक ने पीछे से वायुदूत के बारे में, उसकी उपलब्धि के बारे में सवाल दागा तो इस बार हुल-हुल बाबा उचक पड़े.... बाहें ऊपर चढाते हुए, “उसका रेल मॉडल कोई उपलब्धि कही जाएगी.... यहाँ हमारी एकेडेमी के तमाम हुनरमंद करोड़ों, अरबों के मूल्य का मॉडल बना रहे हैं वो कुछ लाख का मॉडल बना पाया.... ऐसा प्रोडक्ट विदेशी बाज़ार में कैसे टिकता इसलिए वापस भेज दिया उसके घर, वो फेल हो गया है. हम मिशन २०१४ की तैयारी में लगे हैं, इस कारण ऐसे असफल लोगों की कोई जरूरत नहीं”
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“उसका फेल होना क्या Useless Progressive Academy की असफलता नहीं है” किसी ने सवाल का गोला बनाकर मौनी बाबा की तरफ उछाला. इससे पहले कि कोई जवाब दिया जाता दरवाजे पर जबरदस्त शोर होने लगा. सबकी निगाह उसी तरफ उठ गईं..देखा तो आम आदमी टाइप के कुछ लोग अन्ना ही घुसने की कोशिश में थे. खुर रसीद सबको खुर मार-मार कर बाहर  करने में लगे थे और दो सुरक्षाकर्मी पूरी मुस्तैदी से मैडम की, हुल-हुल बाबा की, मौनी बाबा की, एकेडेमी की छीछालेदर रोकने में लगे हुए थे. एक पूरी ताकत से अपने दोनों चक्रों से भीड़ को नियंत्रित करने में लगा था और दूसरा हाथी से भीड़ को कुचलने की कोशिश में था. इसके बाद भी भीड़ जोर-जोर से पानी.... बिजली.... राशन.... गैस.... पेट्रोल.... नौकरी.... सुरक्षा.... महंगाई.... आदि चिल्लाने में लगी थी. बीच-बीच में शेम-शेम-शेम के स्वर भी सुनाई दे रहे थे. हुल-हुल बाबा समझ नहीं पा रहे थे कि ये क्या हो रहा है. उन्हें लगा कि ये एकेडेमी की सफलता पर लगाये जाते नारे हैं सो वे भी ताली पीट-पीट कर चिल्लाने लगे “मौनी बाबा हाय-हाय, मैडम शेम-शेम.....” मैडम की त्योरियाँ चढ़ गईं. मैडम की त्योरियाँ चढ़ी देख मौनी बाबा जोश से अकड़ कर खड़े हो गए और बुदबुदाने लगे, “कड़ी कार्यवाही की जाएगी...ठोस कदम उठाये जायेंगे....” मैडम ने जैसे ही मौनी बाबा को बुदबुदाते सुना, हुल-हुल बाबा को ताली पीटते देखा तो वे समझ गईं कि दोनों को दौरा पड़ने वाला है. इससे पहले कि कोई मीडियाकर्मी या भीड़ का कोई आदमी इन पर ध्यान दे पाता, मैडम दोनों को घसीटते हुए हॉल के किनारे बने एक कमरे में ले गईं और दरवाजा भड़ाक की आवाज़ के साथ बंद कर दिया. सब किंकर्तव्यविमूढ़ से खड़े टापते रहे. 
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