18 अक्तूबर 2011

अहम् मे दिए गए बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो नहीं है



क्या अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर कभी भी कुछ भी कह देना सहज स्वीकार्य होना चाहिए?

क्या इस बात को भूलकर कि इसका प्रभाव देश की सुरक्षा पर, उसकी नीतियों पर क्या पड़ेगा, कुछ भी बयान जारी कर देना अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता समझी जाये?

देश की जनता के द्वारा प्रदत्त सम्मान के अहं में क्या किसी को भी किसी भी संवेदनशील मुद्दे पर बिना सोचे समझे बयान देने का अधिकार प्राप्त हो जाता है?

कहना कुछ और नहीं, बस आशय आप सभी समझ रहे हैं....पता नहीं वे लोग कब समझेंगे?



2 टिप्‍पणियां:

  1. आईये उम्मीद करें ये कभी तो समझेंगे...हालाँकि इसकी सम्भावना कम है...

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  2. किसी भी नागरिक द्वारा दिया गया ऐसा बयान जो देश की संप्रुभता के खिलाफ हो उसे अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कतई स्वीकार नहीं करना चाहिए बल्कि इस तरह के गैरजिम्मेदार बयान देने वाले को तुरंत गिरफ्तार कर उसके खिलाफ मुकदमा चला उसे उचित सजा देणी चाहिए वरना इस देश को देश नहीं लोग खाला का घर समझने लगेंगे|

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