देश की संसद में इस समय आई0पी0एल0 को लेकर हंगामा मचा हुआ है। पिछले सत्र में महिला आरक्षण विधेयक को लेकर हंगामा मचा हुआ था। अब पता नहीं कि अगले सत्र में किस बात पर हंगामा हो?
देखने में आया है कि अब संसद में लगभग पूरे सत्र किसी एक ही बिन्दु, किसी एक ही विषय पर चर्चा होती रहती है। (क्षमा करें, इसे चर्चा के स्थान पर पढें कि बहस, हंगामा होता रहता है।)
देश की शासन-सत्ता चलाने वाले क्या देश की जनता के खून पसीने की कीमत को पहचानना भूल गये हैं? करोड़ों रुपयों के संसद सत्र में दो टके की भी चर्चा नहीं की जाती और किसी एक के चेहरे पर भी शर्म की लकीर तक नहीं दिखाई देती है।
इसे देश का दुर्भाग्य कहने के साथ-साथ जनता के हितों के साथ किया गया मजाक नहीं तो और क्या कहा जाये?
jab gunde badmaash sansad puchege to yahi haoga
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