24 अप्रैल 2010

मेरे बच्चे...तुम्हारे बच्चे....हमारे बच्चे....




ब्लॉग पर तैर रही साम्प्रदायिकता और तनाव से कुछ बाहर आने की कोशिश करिए जनाब.... लीजिये अभी कुछ और नहीं एक हल्का-फुल्का चुटकुला ही पढ़िए.....
ठीक है न॥!!!
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एक महिला के दो बच्चे थे और उसका पति नहीं था। एक पुरुष के दो बच्चे थे और उसकी पत्नी नहीं थी। दोनों ने एक-दूसरे को साथ देने के लिए आपस में शादी कर ली।

दोनों के सम्बन्ध मधुरता से चलने लगे और उनके आपसी मिलन से भी दो बच्चे हुए।


(चित्र गूगल छवियों से साभार)

एक दिन पुरुष अपने ऑफिस में बैठा काम कर रहा था तभी उसकी पत्नी का फोन उसके पास पहुँचा। वह बड़ी ही घबराई हुई थी।

उसने अपने पति से लगभग चीखते-चिल्लाते हुए कहा-‘‘सुनते हो जी, जल्दी घर जाओ।’’

अपनी पत्नी की घबराहट और हड़बड़ाहट को देखकर पति भी घबरा गया और उतनी ही तेजी से चीखते-चिल्लाते हुए बोला-‘‘क्यों क्या बात हो गई?’’

पत्नी ने फिर उसी अंदाज में कहा-‘‘कुछ नहीं, बस जल्दी घर जाओ क्योंकि मेरे बच्चे और तुम्हारे बच्चे मिलकर हमारे बच्चों को पीट रहे हैं।’’


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