08 मार्च 2010

राष्ट्रीय काव्य संकलन "आस्था" में प्रकाशित कविता -- भूख

ये कविता श्री बुद्धेश्वर प्रसाद सिंह के सम्पादन में निकलने वाले राष्ट्रीय काव्य संकलन "आस्था" में प्रकाशित हुई है.
बुद्धेश्वर प्रसाद सिंह से यहाँ से संपर्क किया जा सकता है -----
श्री बुद्धेश्वर प्रसाद सिंह
ग्राम एवं पोस्ट भतखोड़ा,
वाया बुधमा,
जिला मधेपुरा (बिहार) पिन - ८५२११४

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भूख

मानव तन से लिपटी सिमटी
एक ऐसी लड़ी
जो जोड़ती है
जिन्दगी में अनेक कड़ी।
कहीं भूख है रोटी की,
तो कहीं दौलत की,
किसी को भूख शोहरत की,
तो किसी को ताकत की,
कत्ल हुआ किसी का भूख में,
लुट गया मानव तन भी भूख में।
भूख ने दिये अंजाम हमेशा
अच्छे और बुरे,
मिली हमें आजादी
भूखे रहकर
आजादी की भूख में,
पर..
लुटा गये शांति अपनी
चन्द सिक्कों की भूख में।
कब खत्म होगी भूख
इस मानव मन की?
शायद आज...
शायद कल...या
शायद कभी नहीं?

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