11 फ़रवरी 2010

पाकिस्तान का समर्थन करने वालों को पाकिस्तान में छोड़ देना चाहिए

पूरे मुम्बई में भय का साम्राज्य है और पूरे देश की नजरों में इसे बस खुरापात नाम दिया जा रहा है। कितना कुछ अलग होता है किसी भी घटना को देखने का तरीका। शिवसेना द्वारा विरोध किया जा रहा है और समूचे देश में इसे गलत करार दिया गया। देना भी चाहिए आखिर किसी भी बात का विरोध हिंसा से नहीं होना चाहिए।



अब इस विरोध से सम्बन्धित बिन्दुओं को भी गौर करना होगा-

विरोध हुआ शाहरुख खान द्वारा पाकिस्तान के खिलाड़ियों को आई0पी0एल0 की किसी भी टीम में शामिल न किये के सम्बन्ध में दिये गये बयान के बाद।

सोचने की बात है कि भारत के लगातार प्रयासों के बाद भी पाकिस्तान की ओर से हरकतों का रुकना कम नहीं हुआ है। आये दिन देश की जनता पर किसी न किसी रूप में हमले होते रहते हैं। अगर पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ियों को आई0पी0एल0 की किसी भी टीम में ले लिए जाने से देश के हालात सुधरते हों तो हमारा विचार है कि पूरी की पूरी आई0पी0एल0 सीरीज पाकिस्तान के खिलाड़ियों के लिए रख दी जाये। नाम भी रख दिया जाये इण्डियन पाकिस्तान लीग (आई0पी0एल0)।

वैसे क्रिकेट को धर्म मानने वाले और क्रिकेट के सहारे पाकिस्तान से सम्बन्ध सुधरने की गुंजाइश रखने वाले कुछ शुतुरमुर्गधारी व्यक्तित्वों को जानकारी होगी कि हमारे क्रिकेट के भगवान कनाडा में कुछ वर्षों तक पाकिस्तान के साथ क्रिकेट की सीरीज खेलते आये हैं। दोनों देशों के आपसी सम्बन्धों का भला हो या न हो पर दोनों देशों के क्रिकेट बोर्डों का भला हो जाता है और बहुत सी विज्ञापन कम्पनियों का भी बेड़ा पार हो जाता है।

एक दूसरा विरोध शिवसेना ने शुरू किया आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के आई0पी0एल0 में न खेलने देने को लेकर।

इस विरोध के बाद आस्ट्रेलिया में बसे भारतीयों ने वहाँ प्रदर्शन कर शिवसेना के इस विचार का विरोध किया। वहाँ रह रहे भारतीयों को डर है कि शिवसेना के द्वारा आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के आई0पी0एल0 में खेलने का विरोध करने से आस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीयों को खतरा बढ़ जायेगा।

वाह!!! क्या गजब की देश-भक्ति का नमूना पेश किया है हमारे आस्ट्रेलिया भक्त भारतीयों ने। हमारा कहना यह कदापि नहीं है कि शिवसेना द्वारा आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के विरोध में जो कदम उठाया गया है वह सही है किन्तु यह भी कदापि सही नहीं है कि जिस देश में हमारे देशवासियों पर हमले हो रहे हों वहाँ के खिलाड़ियों के स्वागत में हम खड़े हों।

भले ही सरकार की ओर से कोई भी कड़े कदम इस बाबत नहीं उठाये गये हैं किन्तु हम देशवासियों को तो इस तरह की घटनाओं का विरोध करना ही चाहिए था।

आज शिवसेना के विरोध प्रदर्शनों के विरुद्ध किसी ने खड़े होने की हिम्मत जुटाई और मीडिया ने उसे सिर आँखों पर बिठा लिया। देख-सुन कर हँसी आई, विरोध करने वाले पर और देश की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष मीडिया पर। शिवसेना के प्रदर्शनों का विरोध करने उतरीं झूठ पर झूठ का प्रदर्शन करने वालीं तथाकथित समाजसेविका तीस्ता शीतलवाड़ा। जी हाँ, ये वही हैं जिन्होंने गुजरात दंगों पर लगातार झूठे गवाहों के द्वारा अदालत को गुमराह करने जैसा समाज सेवा का काम किया था। मीडिया के लिए तो कुछ न ही कहा जाये तो अच्छा रहेगा क्योंकि उसे बुराई दिखती है तो हिन्दू धर्म में, हिन्दुवादी संगठनों में, हिन्दू वाणी बालने वालों में।

शाहरुख ने क्या कहा, क्यों कहा इस पर बहस नहीं हुई। शाहरुख को पाकिस्तान के खिलाड़ियों के चयन का इतना ही ख्याल था तो उन्होंने किसी पाकिस्तानी खिलाड़ी को अपनी टीम में शामिल क्यों नहीं कर लिया? अब घड़ियाली आँसू रो-रोकर अपनी फिल्म को हिट करवाने की जुगाड़ में हैं।

हमारा तो आगे के लिए एक सुझाव है कि जो पाकिस्तान के ऐसे विरोधात्मक रवैये के बाद भी पाकिस्तान के प्रति वफादारी, मित्रता का भाव दिखाये उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त कर एक बार पाकिस्तान में छोड़ दिया जाये। इसके बाद वह पाकिस्तान में अपनी नागरिकता बनवाये और अपने निर्दोष होने का सबूत देता फिरे। हो सकता है कि इस तरह से दोनों देशों के सम्बन्ध सुधरने लगें? पाकिस्तान में अपनी नागरिकता के चक्कर में ये वहाँ के लोगों को भी भारत के बारे में समझा सकेंगे और पाकिस्तान को भी लगेगा कि हमारी तरफदारी करने वाला अब हमारे देश की नागरिकता चाहता है।

अब खेलों, कलाओं, संस्कृतियों के सहारे नहीं इन्हीं पाकिस्तान प्रेमियों की जुबानदराजी से दोनों देशों के हालात सुधरेंगे।



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