कल अपनी पोस्ट पर कुछ चित्र लगाये थे जो हमें मेल के द्वारा मिले थे। क्या सत्य है और क्या असत्य यह आकलन उन्हें करना है जो उनमें सत्य-असत्य को खोजने की कोशिश कर रहे हैं। हमें अपनी पोस्ट लगाने के बाद से कुछ फोन आये, उरई के दोस्तों और बाहर के मित्रों ने भी बताया कि क्या प्रतिक्रिया है उनकी इस पर।
दोपहर को खबर लगी कि टिप्पणी के द्वारा इस पोस्ट को हटाने के लिए कहा गया है। चूँकि हम उरई वालों की पूरी दोपहर (सुबह आठ बजे से रात आठ बजे के मध्य बिजली मात्र दो घंटे आती है, दोपहर में बारह बजे से दो बजे तक) लगभग बिना बिजली के ही बीतती है। ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी होता है। इधर इनवर्टर भी साथ नहीं दे रहा है, और लैपटाप भी नहीं है कि दोपहर में नेट का सदुपयोग कर सकें, इस कारण अधिकतर रात को ही ब्लाग आदि पर समय देते हैं।
हमें कई मेल भी मिलीं और अदा जी की मिटाई हुई टिप्पणी, तो हमने इस पोस्ट को हटा दिया है। किसी को आहत करना हमारा मकसद कभी नहीं रहा। अपनी निजी जिन्दगी में भी हमने प्रयास किया है कि किसी की भावनाएँ आहत न हों। प्रयास रहता है कि सभी के चेहरे पर मुस्कान रहे क्योंकि आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में आदमी हँसना ही भूल गया है। (बुरा न माने संसार में सिर्फ गधा ही नहीं हँसता है, बस मुँह नीचे किये ध्यानमग्न रहता है। चिन्तन करता रहता है। संसार का सबसे बड़ा बुद्धिजीवी!!!!)
पोस्ट को भले ही हटा दिया गया हो किन्तु इस सत्य को कैसे मिटायेंगे कि संसार के सबसे विकसित राष्ट्र में ऐसा होता है? विश्व में सबसे अधिक राष्ट्र-प्रेमी होने का उदाहरण हम इन्हीं के द्वारा देते हैं; काम के प्रति संकल्प भावना और निष्ठा का उदाहरण देना हो तो इन्हीं को याद करते हैं; सब कुछ तबाह हो जाने के बाद भी सबसे विकसित होने का उदाहरण देना हो तो यही याद आते हैं; किसी भी देश में सब कुछ अच्छा चलना दिखाना हो इन्हीं के गुणगान करते हैं, तो क्या इसे भुलाना आसान होगा कि यहाँ यह भी होता है?
दोपहर को खबर लगी कि टिप्पणी के द्वारा इस पोस्ट को हटाने के लिए कहा गया है। चूँकि हम उरई वालों की पूरी दोपहर (सुबह आठ बजे से रात आठ बजे के मध्य बिजली मात्र दो घंटे आती है, दोपहर में बारह बजे से दो बजे तक) लगभग बिना बिजली के ही बीतती है। ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी होता है। इधर इनवर्टर भी साथ नहीं दे रहा है, और लैपटाप भी नहीं है कि दोपहर में नेट का सदुपयोग कर सकें, इस कारण अधिकतर रात को ही ब्लाग आदि पर समय देते हैं।
यह स्पष्टीकरण इस कारण से कि हमें पता चला था कि अदा जी ने अपनी टिप्पणी के माध्यम से इस पोस्ट को हटाने के लिए कहा था और अभी देखा तो उनकी कोई टिप्पणी यहाँ नहीं थी। हाँ, दो टिप्पणियाँ हटाई हुईं जरूर मिलीं। सम्भव है कि उनमें से एक अदा जी की होगी। वे इसे अन्यथा न लें, हम तो बेचारे बिजली के मारे। |
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हमें कई मेल भी मिलीं और अदा जी की मिटाई हुई टिप्पणी, तो हमने इस पोस्ट को हटा दिया है। किसी को आहत करना हमारा मकसद कभी नहीं रहा। अपनी निजी जिन्दगी में भी हमने प्रयास किया है कि किसी की भावनाएँ आहत न हों। प्रयास रहता है कि सभी के चेहरे पर मुस्कान रहे क्योंकि आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में आदमी हँसना ही भूल गया है। (बुरा न माने संसार में सिर्फ गधा ही नहीं हँसता है, बस मुँह नीचे किये ध्यानमग्न रहता है। चिन्तन करता रहता है। संसार का सबसे बड़ा बुद्धिजीवी!!!!)
पोस्ट को भले ही हटा दिया गया हो किन्तु इस सत्य को कैसे मिटायेंगे कि संसार के सबसे विकसित राष्ट्र में ऐसा होता है? विश्व में सबसे अधिक राष्ट्र-प्रेमी होने का उदाहरण हम इन्हीं के द्वारा देते हैं; काम के प्रति संकल्प भावना और निष्ठा का उदाहरण देना हो तो इन्हीं को याद करते हैं; सब कुछ तबाह हो जाने के बाद भी सबसे विकसित होने का उदाहरण देना हो तो यही याद आते हैं; किसी भी देश में सब कुछ अच्छा चलना दिखाना हो इन्हीं के गुणगान करते हैं, तो क्या इसे भुलाना आसान होगा कि यहाँ यह भी होता है?
चलिए भूलिए कि कहाँ क्या होता है? हम अपने में मगन रहें और अपने देश की मेरा भारत महान के संदर्भ में कुछ मजेदार फोटो का आनन्द लें। इनमें हँसी है, आनन्द है, मनोरंजन है। (हालांकि ये फोटो मेल से मिलीं हैं किन्तु नेट पर आसानी से उपलब्ध हैं। उपलब्धता-अनुपलब्धता न देखकर बस मूड हल्का करिए। अदा जी के साथ-साथ और जिन्हें भी पिछली पोस्ट पर आपत्ति रही हो, किसी का दिल दुखा हो, उन सभी से माफी माँगते हैं। अदा जी भी माफ करेंगीं, क्योंकि टिप्पणी हटा लेना उनके गुस्से को दर्शाता है।) |
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एक के साथ एक फ्री, बालकनी में सब फ्री
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मानव-श्रृंखला नहीं, मानव ट्रेन बना दी, देखी हमारी एकता
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रोको-रोको, चप्पल गिर गई, उठा लेने दो
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मानव-श्रृंखला नहीं, मानव ट्रेन बना दी, देखी हमारी एकता
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रोको-रोको, चप्पल गिर गई, उठा लेने दो
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जिन्दाबाद!! हमारा भारत महान!!!
जवाब देंहटाएंवाह जी बल्ले बल्ले
जवाब देंहटाएंपोस्ट को भले ही हटा दिया गया हो किन्तु इस सत्य को कैसे मिटायेंगे कि संसार के सबसे विकसित राष्ट्र में ऐसा होता है? विश्व में सबसे अधिक राष्ट्र-प्रेमी होने का उदाहरण हम इन्हीं के द्वारा देते हैं; काम के प्रति संकल्प भावना और निष्ठा का उदाहरण देना हो तो इन्हीं को याद करते हैं; सब कुछ तबाह हो जाने के बाद भी सबसे विकसित होने का उदाहरण देना हो तो यही याद आते हैं; किसी भी देश में सब कुछ अच्छा चलना दिखाना हो इन्हीं के गुणगान करते हैं, तो क्या इसे भुलाना आसान होगा कि यहाँ यह भी होता है?
जवाब देंहटाएंYou just don't get it? Do you?
You are a researcher, right? You like to do "vimarsh", right? Do some research and show us that the pictures sent to you in email are authentic.
Otherwise, it tells us something about how you reach conclusions without proper verification and will cast a shadow of doubt on your other conclusions as well.
That's little hard my friend but that's the occupational hazard of jumping guns on any topic without proper research.
Best wishes,
Neeraj
बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब , भाई कहाँ से ऐसे-ऐसे तस्वीरे खोज लाते है ।
जवाब देंहटाएंजिन्दाबाद!! हमारा भारत महान!!!
जवाब देंहटाएंहरा भरा था देश हमारा,
जवाब देंहटाएं…………………………………,
अब बचा क्या शेष हमारा,
…………………………………।
कल की पोस्ट मैने देखी थी पर मै सोचता रहा कि क्या कहा जाए? क्योंकि ऐसा जीवन मे पहली बार देखा था। कुछ कह नही सका।
जवाब देंहटाएंआपके आज के चित्र बहुत ही जोरदार हैं, यही भारत है।
भाई कमाल की छवियां है। फ़ोटो क्रेडिट भी देते तो अच्छा रहता
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंमै आपका पिछला पोस्ट नही देख पाया. पर आज जो चित्र आपने लगाया है वे लाजवाब हैं.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंवाह....!
जवाब देंहटाएंअनेकता में एकता!
मेरा भारत महान
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