15 अक्टूबर 2009

माइक्रो पोस्ट - पानी के लिए भटके फिरें......

बचपन में एक दोहा पढ़ रखा था-
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।।

आज का दोहा, इसी सन्दर्भ में-
मानुष पानी राखते, बिन पानी सब सून।
पानी को भटके फिरें, धरती हो या मून।।


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