22 जुलाई 2009

जूते खाए, जूते उतरे, कपड़े उतरे, क्या नंगे ही रहोगे? कुछ करो..

आप कलाम साहब को जानते हैं? कलाम साहब माने मिसाइल मैन। कलाम साहब माने सादगी। कलाम साहब माने कर्मशीलता। कलाम साहब माने हमारे पूर्व राष्ट्रपति। अब भी नहीं समझे? अरे आप लोग तो समझ गये पर वे अमेरिका वाले तो समझें। समस्या तो उन्हीं की है।
जाँच समझते हैं आप? अरे, वह कपड़े उतार कर होने वाली नहीं। अरे, वह जो छोटे में परीक्षा के दौरान नकल न करने देने के लिए होती थी, वह भी नहीं।
वह भी नहीं जो सामान्य तौर पर सुरक्षा के लिए होती है। वह जाँच जिससे आम आदमी को गुजरना होता है। अरे! फिर आप अपने पर ले गये। आपकी बात नहीं, आप तो समझते हैं जाँच को पर उन अमेरिका वालों को कौन बताये कि जाँच क्या होती है? उन्हें क्या मालूम क्या आम और क्या खास?
जूते उतारना क्या होता है? मालूम है? हाँ वही जो पूजा करते समय उतारते हैं। जी हाँ, कभी-कभी मारने के
लिए भी उतारना पड़ता है। कभी अतिविशिष्ट लोगों के सामने भी उतारना पड़ता है। अरे! यही बात तो......। यही तो हमें नहीं मालूम थी। हम तो समझते थे कि किसी मंदिर में, किसी पूजा आदि स्थल पर ही जूते उतारते हैं। हाँ, कभी मार-पीट के लिए भी उतारे हैं पर तब जब हमारे न पड़े हों।
अब हमें मालूम हो गया कि अतिविशिष्ट लोगों के सामने भी जूते उतारे जाते हैं। कभी-कभी कपड़े भी उतारे जाते हैं। (शायद अपना ही देश होने के कारण बच गये, नहीं तो जार्ज साहब से पूछो)
चलिए उनकी अपनी शंका है, 9/11 के बाद से। सभी आतंकी लगते हैं अब तो उन्हें। अरे भई बहुत नुकसान हुआ था। बुरा क्यों मानते हो, कलाम साहब हमारे लिए हैं सादगीपूर्ण, हमारे लिए हैं पूर्व राष्ट्रपति, हमारे लिए हैं मिसाइल मैन। क्या कहा मिसाइल मैन? उफ!!!! डर यहीं से पैदा होता है। विद्वान हैं, प्रतिभासम्पन्न हैं, तकनीक भी है, आज भी कार्यरत हैं क्या पता कितनी छोटी सी मिसाइल बना ली हो और.....बूम।
हमारे लिए आदर्श हैं पर उनका तो अमेरिका चला जाता। (वैसे अमरीकियों को खुद अपनी सभ्यता नहीं मालूम, तमाम देशों के लोगों से बने-सँवरे हैं, उसी पर गर्व????) देश बचाने को क्या सिर्फ सेना की जरूरत होती है? क्या ये सिर्फ सुरक्षाबलों का काम है? अरे! एक एयरलाइन्स ने ऐसा कर दिया तो हमें उसकी देश-भक्ति पर गर्व करना चाहिए। हम लोग भी तो देश-भक्ति पर गर्व करते हैं।
नहीं करते? देखो अभी ही किया। कलाम साहब ने जाँच होने दी, हमने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। वह भी तब जब उनकी विदेश मंत्री देश में टहल रहीं हैं।
हमारे एक प्रधानमंत्री विदेश में मृत्यु को प्राप्त होते हैं पर हम देश-भक्ति पर गर्व करते हैं। सम्बन्ध न खराब हों आज तक सही रिपोर्ट सामने नहीं लाये।
पूरे साठ घंटे करामात होती रही। हमारे लोग मरते (सारी...शहीद) होते रहे और अब हम कसाब की पहचान करवाने में ही मस्त हैं। है न देश-भक्ति का नमूना?
हमार विमान दूसरे देश तक ले जाया गया। हमने क्या किया? सब चलता है....।
और गिनायें.....????
ये भी तो एक प्रकार की देशभक्ति है कि अभी जूते ही उतरे हैं, पड़े तो नहीं हैं। अब पड़ ही जायेंगे तभी कुछ करेंगे, तब तक कहेंगे....ये देश है वीर जवानों का.......।

6 टिप्‍पणियां:

  1. इस दुखद प्रसंग की अच्छी व्यंग्यात्मक प्रस्तुति।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. दुःख हुआ जब ये समाचार सुना, लेकिन किया भी क्या जा सकता है। इस पर आपकी व्यंगात्तमक लेख को पढकर अच्छा लगा।

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  3. साहब ये हिंदुस्तान है ...यहाँ सब चलता है ......जय हो.

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  4. बेहद शर्मनाक्!! लेकिन आपका व्यंग्यात्मक आलेख बढिया लगा। धन्यवाद

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