17 जुलाई 2009

अब तो नंगे घूमो, ये भी सच का सामना है

अभी हाल ही में टीवी पर एक कार्यक्रम शुरू हुआ ‘सच का सामना’। पहले लग रहा था कि कार्यक्रम में कुछ विशेष होगा किन्तु जब आये दिन इसके ट्रेलर दिखाये गये और बाद में इसकी पहली ही कड़ी के कुछ अंशों को देखा तो लगा कि हम भारतीय भी विकास की राह में कुछ ज्यादा ही आगे आ गये हैं।
21 सवाल और फिर सच और झूठ का निर्णय। अन्त में सब कुछ सच्चा तो एक करोड़ नहीं तो टाँय-टाँय फिस्स। सवाल कोई ऐसे नहीं जो आपकी मेधा का परीक्षण करें। सवाल ऐसे नहीं जो आपकी क्षमता को सिद्ध करें। सवाल वे भी नहीं जिनसे आपकी सामाजिक स्थिति का आकलन होता हो। इसके अलावा सवाल ऐसे भी नहीं जिनके माध्यम से कहा जा सके कि आपने सच का सामना करने की हिम्मत जुटाई।
सवाल ऐसे के परिवार टूट सकें। सवाल ऐसे कि परिवार बिखर सकें। सवाल इस दर्जे के कि आपस में अविश्वास पैदा हो सके। सवाल वो जो कलह मचवा दें। एक बानगी-
क्या आपने अपने पिता को चाँटा मारा?
क्या आप अपनी बेटी की उम्र की लड़की से शारीरिक सम्बन्ध बना चुके हैं?
क्या आप सार्वजनिक स्थल पर निर्वस्त्र हुए हैं?
आदि-आदि।
इस कार्यक्रम की पहली (शायद पहली ही थी) कड़ी में जब कार्यक्रम देखना शुरू किया तो सीट पर बैठी महिला पाँच लाख जीत चुकी थी। एक सवाल पूछा गया कि क्या आप किसी दूसरे आदमी के साथ शारीरिक सम्बन्ध बना सकतीं हैं, यदि आपके पति को इसका पता न लग सके? एक-दो क्षण के विचार करने के बाद उस महिला का जवाब था नहीं।
एक आवाज उभरी जिसने पालीग्राफ का परिणाम बताया और सभी ने सुना ‘आपका जवाब सही नहीं है।’ महिला सन्न रह गई, कहा नो...नो। पास में बैठे उसके पति ने अपने सिर पर हताशा से हाथ फेरा। चश्में को सिर पर चढ़ा कर अपनी आँखों को हाथों से ढँका। (कई जानकारों का कहना है कि पोलीग्राफ टेस्ट भी विश्वसनीय नहीं है)
एंकर ने महिला को सीट से उठाकर उसके पति और अन्य परिवारीजनों के पास तक पहुँचाया, साथ ही परिवार के सुखी रहने की बधाई दी। बधाई....सुखी परिवार की। जब वहाँ सवाल रहा हो शारीरिक सम्बन्ध का, बच्चों का साथ मिले इस कारण शादी को स्वीकारते रहने का तो सोचा जा सकता है कि परिवार कितना सुखी होगा?
आखिर ऐसे सवालों के द्वारा हम किस सच का और किस हिम्मत का सामना करने की बात कर रहे हैं?
अपने आपको नंगा दिखाने का प्रयास हमारी हिम्मत है?
अपनी बहू-बेटियों को, लड़को को सरेआम सबके सामने नंगा करवा देना क्या सच का सामना है?
ऐसे कार्यक्रमों में एक करोड़ जीतने के बाद किस तरह की बधाई देंगे? शाबास, अपनी बेटी की उम्र वाली लड़की से सेक्स करने की बधाई। अपने पिता को थप्पड़ मारने की बधाई। किसी के साथ भी कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत रखने की बधाई।
यही सब है जो हमें बताता है कि हम कहाँ जा रहे हैं। इस तरह के सवालों के बाद परिवार में पर्दे में रखने जैसा बचा ही क्या है? अब एक आराम तो है कि घर में नये दम्पत्ति के लिए किसी तरह के संकोच की जरूरत नहीं। सब जाने हैं कि बन्द कमरे में पति-पत्नी करते क्या हैं। जगह की कमी के कारण सब एकसाथ लेटो-बैठो। सब लोग सब जानते हैं, सबक सामने ही करने लगो। (यही तो कहते हैं ऐसे कार्यक्रमों का समर्थन करने वाले कि आजकल सभी को पता है कि सच क्या है)
चलिए सच के लिए अब नंगा होकर घूमा जाये क्योंकि सभी को मालूम है कि कपड़ों के भी इन्सान नंगा ही है।

3 टिप्‍पणियां: