अकसर सुना है कि खिलाड़ियों की, कलाकारों की देश में हमेशा इज्जत रहती है। इधर आई पी एल की शुरुआत हुई उधर इसमें शामिल टीमों के मालिकों का तानाशाह जैसा रवैया प्रारम्भ हो गया। व्यापारी, फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग खिलाड़ियों पर दवाब बना रहे हैं। आज तो शाहरूख खान ने लगभग चेतावनी भरे अंदाज में अपनी बात कही, राहुल द्रविड़ बापस लौट रहे हैं। क्या अब ये खिलाड़ी इनके खरीदे गये नौकर हैं? क्या इन सब बातों के लिए खिलाड़ी ही जिम्मेवार हैं? क्या इससे वाकई खेल का भला होगा?
चुनावी चकल्लस-बातों-बातों में कर रहे एकदूजे पर वार,
सत्ता लालच में भूले हैं विकास की राह,
कराहती, सिसकती जनता पर ध्यान नहीं,
अभी नजरों में है बसी संसद ही की राह।
25 अप्रैल 2009
खिलाड़ी हैं या नौकर??
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हालत वास्तव में बुरे है
जवाब देंहटाएंमगर राहुल द्रविड़ की वापसी का कारन व्यक्तिगत है जो पहले से निर्धारित है
वैसे भी वो इस सत्र के टॉप स्कोरर हैं
--वीनस केसरी
kumarendra ji aapke blog ke bare me mujhe rachanajar se pata chala.mujhe jankar bahut achha laga k aapk hindi ka prachar kar rahe hain badhai. aapke blog ki tarah hi mera bhi aik blog hai. jisme un logo ki zindagi me likha jata hai jinhone zindagi me kuchh kar dikhaya hota hai.aik bar mera blog dekhen. dhanyavad
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