30 मार्च 2009

हमने बचाई सबसे ज्यादा बिजली

हमने बचाई सबसे ज्यादा बिजली। कल रात में धरती की खातिर बिजली को एक घंटे गुल रहना था, जैसा कि अपनी कल की पोस्ट पर आपको बताया था कि हमारे शहर में वैसे भी बिजली की कटौती से बचत होती ही रहती है सा कल भी हुई। रात को जैसे ही 8 बजे बिजली आई फिर पन्द्रह मिनट बाद चली गई। इसके बाद आना-जाना बना रहा। कुल मिला कर 8 से 10 बजे तक के दो घंटे में बिजली मात्र 30 मिनट को आई।
अब आई रात को सोने की बारी। चूँकि बिजली बचाना थी तो इस समय भी विद्युत विभाग कैसे शान्त रहता। रात्रि में लगभग सवा बारह बजे बिजली गई और फिर उसका आना हुआ ठीक दो बजकर दस मिनट पर। इतना सही समय इस कारण से बता पा रहे हैं क्योंकि गरमी के कारण नींद तो आने से रही। हाँ भाई इन्वर्टर है पर उसे भी तो चार्ज होने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है।
सवा दो बजे बिजली के आने के बाद फिर उसने सुबह चार बजे के आसपास थोड़ा प्रातःकालीन सैर की और लगभग बीस मिनट के बाद बापस आ गई। अपने नियत समय सुबह 8 बजे पर उसको जाना था सो उस समय वह चली गई और अपने आने के निर्धारित समय दोपहर 12 बजे पर आ नहीं सकी। (कहीं चुनाव प्रचार में व्यस्त होगी?)
अब बताइये हम लोगों ने बचाई सबसे अधिक बिजली।
वैसे इस देश में बहुत से ऐसे शहर और गाँव हैं जहाँ 10 से 12 घंटे तक बिजली लगातार नहीं आती है और कुछ में तो स्थिति ऐसी है कि पूरे दिन के साथ-साथ दो-दो, तीन-तीन दिन भी हो जाते हैं जब बिजली के दर्शन नहीं होते हैं। वे तो लगातार ही बिजली बचाने में लगे हैं, उन्हें बधाई और विद्युत विभाग को भी सहयोग करने के लिए बधाई।

चुनावी चकल्लस-

जीत हो उनकी या हो हार,
सभी दिखाते अपने वार।
हार से रहते हैं घबराते,
जीत को करते प्रयास अपार।
लेकिन देखो बेढ़ंगा खेल,
जीत के बाद भी मिलता हार।

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