‘टेस्ट कहाँ है?......टेस्ट कहाँ है?.......टेस्ट कहाँ है? ये चन्द शब्द टी0 वी0 स्क्रीन पर सुनाई देते हैं और इसके बाद सुनाई देता है कि ‘टेस्ट यहाँ है।’ इस शब्द के बाद एक महिला जायकेदार मसाला लेकर आती है और लोगों का स्वाद बन जाता है।
टी वी के लोगों का तो स्वाद बन गया पर इधर महसूस किया जा रहा है कि आम आदमी का स्वाद नहीं बन पा रहा है। ऐसा नहीं है कि उस महिला द्वारा दिखाये गये मसाले का प्रयोग नहीं होता हो, उस मसाले का उपयोग भी होता है पर नहीं.....स्वाद फिर भी नहीं। क्यों?
क्या एक बात आप लोगों ने गौर की कि अब खाने-पीने की सामग्री में मिलावट अत्यधिक रूप से होने लगी है। फल हों, सब्जी हो, दूध हो, घी हो या किसी अन्य प्रकार की खाद्य सामग्री, सभी मिलावट से भरपूर हैं। इस मिलावट में स्वाद कैसे आ भी सकता है?
इसके अलावा एक दूसरी बात भी अपने गौर की होगी कि खाने-पीने की वस्तुएँ भले मिलावट से भरपूर हो गयी हों पर सजावटी सामान मिलावट का शिकार नहीं हुआ है। उसमें अभी भी पूरी तरह शुद्धता दिखाई दे रही है।
देखा नहीं आपने साबुन में ताजे, रसीले नीबू मिले हैं, क्रीम में दूध, केसर मिल कर आपकी त्वचा को कोमल और मुलायम बना रहे हैं। मौसम में आपको आम खाने को मिले या नहीं पर आपको शुद्ध, ताजे आम का स्वाद किसी न किसी कोल्ड ड्रिंक में मिल रहा होगा। इसी तरह के और भी सजावटी सामान हैं जो किसी न किसी फल का स्वाद आपको देते हैं।
जहाँ तक खाने का सवाल है तो मौसमी फल जैसी अवधारणा तो अब समाप्त हो चुकी है। अब किसी भी मौसम के शुरू होते ही उस मौसम के फलों को पहले-पहल खाने की बालसुलभ चुहल भी अब खतम हो गयी है। याद है किसी भी मौसम में उस मौसम के फलों के आने का इन्तजार रहता था। साथ ही यह भी इन्तजार रहता था कि कब पिताजी बाजार से उन फलों को लेकर आयें और कब अम्माजी हम भाई बहिनों को खाने को दें।
अब ऐसा कुछ भी नहीं। पूरे वर्ष जो फल चाहिए वह मौजूद है। अब तो बच्चे भी सवाल-जवाब शुरू कर देते हैं कि आप कैसे कहते हैं कि फलां फल फलां मौसम का है, वह तो साल भर अपना सब्जी वाला लाता है। कैसे बतायें उन्हें कि जो सब्जी वाला साल भर लाता है वह फल नहीं फलों के क्लोन हैं, उनमें स्वाद और पौष्टिकता नाममात्र को भी नहीं है।
क्या आपको अब टमाटर को नमक के साथ खाली खाने में वही स्वाद आता है? क्या गाजर अब मीठी लगती है? क्या आप अब भी कच्ची फूलगोभी खाने का प्रयास करते हैं? क्या आपको मूली के पत्तों में स्वाद समझ आता है? क्या दूध की मलाई अब आपने देखी है? क्या आपका घी अब महक देता है? क्या दही में मिट्टी के बर्तन की सौंधी खुशबू आती है? क्या???????
सवाल बहुत पर जवाब यही कि शुद्ध नीबू वाला साबुन और दूध केसर वाली क्रीम........................।
13 मार्च 2009
खाने में नकली, सजाने में असली
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कह तो आप सही रहे है । मिलावट का ज़माना है ।
जवाब देंहटाएंअब यही जमाना है सो समझौता करना होगा.
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