वेलेण्टाइन डे के अवसर पर एक कविता उन युवाओं के लिए जिनका ध्येय किसी भी तरह से आज किसी भी लड़की को प्रपोज करना है, किसी भी तरह से किसी भी रूप से............
शाम होते ही होने लगते हैं जमा,
कुछ युवा
सड़क के किनारे बनी
चाय व पान की दुकान पर
क्योंकि वे
सड़क के दूसरे छोर पर
बने मकानों के
सुंदर मुखड़ों के दर्शनार्थ यहाँ आते हैं,
और इस प्रकार अपनी
अतृप्त आशाओं, इच्छाओं को
अपनी आँखों के सहारे मिटाते हैं।
एक नियम की भाँति
हर शाम यहाँ जमा होने का क्रम।
अपने अधगले विचारों का प्रदर्शन,
इसके साथ ही उड़ने लगते हैं
धुँए के गुबार,
लगने लगते हैं कहकशे
बिना बात बार-बार।
उन्हें नहीं मालूम होता है
इतिहास अपने देश का,
भविष्य अपने वर्तमान का,
पर...............
वे जानते हैं, रखते हैं
सामने वालों के
एक-एक पल का हिसाब।
सुबह उठने तलक से सोने तक का हिसाब,
कालेज आने जाने से लेकर
बाजार हाट तक का समाचार।
कभी सामने देख कर
बस एक ही झलक,
संवारने लगते हैं अपने बाल,
गले में बँधे रूमाल,
और रंग-बिरंगी पोशाकों के पीछे से
जाहिर करते हैं
अपने होने की बात।
रहती है कोशिश उनकी
अपने बेढंगे हावभाव के द्वारा
सामने दिखते कुछ विपरीत ध्रुवों को
आकर्षित करने की।
अपनी इस विकृत छवि के सहारे,
उनसे मेलजोल बढ़ाने की।
पर इस क्रियाकलाप में
यह भूल जाते हैं कि कहीं
दूर सड़क के किनारे बना है......
उनका भी घर.......
उन्हीं की तरह के कुछ रंगीन युवा
लगा रहे होंगे
उसका चक्कर।
love....prem.....ye shabad chcarcha ka vishay nahi...ise mahsoos kro.....ruh mai utaaro....
जवाब देंहटाएंhappy velentine
badhiya kya baat hai .happy velentine.....pyaar bantate chalo ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब....
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