आज जालौन जनपद के लिए वाकई खुशी का दिन होना चाहिए। चम्बल, यमुना, सिंध, पहूज और क्वारी नदी के संगम क्षेत्र (यह क्षेत्र पचनदा के नाम से प्रसिद्द है) से 12 किमी दूर रामपुरा स्टेट में बने एक एतिहासिक किले को पर्यटन विभाग ने हैरिटेज किले के रूप में मान्यता दे दी है।
लगभग 700 वर्ष पुराना यह किला कछवाह राजाओं का है जो इतने वर्षों के बाद आज भी ज्यों का त्यों खडा हुआ है. क्षत्रियों (ठाकुरों) की एक उपजाति कछवाह बिरादरी के राजाओं ने रामपुरा जगह को आबाद किया था. राजा राम सिंह के नाम पर ही इस जगह का नाम रामपुर पडा था. 13 वीं शताब्दी में उन्हों ने इस किले का निर्माण करवाया था. सैकड़ों मजदूरों ने इस किले को अथक म्हणत के बाद तीन वर्षों में बनाया था. 18 एकड़ जगह में फैले इस किले के चारों तरफ़ सुरक्षा की दृष्टि से 30 फुट चौडी तथा 35 फुट गहरी खाई खोदी गई थी. इसमें हमेशा पानी भरा रहता था.
राजा राम सिंह की मृत्यु के बाद उनके वंशज अलग-अलग गाँवों में जाकर बस गए थे परन्तु उनके एक उतराधिकारी युवराज केशवेन्द्र सिंह ने इस एतिहासिक किले को हेरिटेज किले के रूप में बनाने के लिए बहुत प्रयास किए. लगभग 12 वर्षों की भागदौड़ के बाद पर्यटन विभाग इस किले को हेरिटेज किले के रूप में स्वीकारने को तैयार हुआ। केशवेन्द्र सिंह ने इस किले में वर्तमान में राजसी ठाठ-बाट से युक्त दो ड्राइंगरूम और पाँच डबल बेद रूम का निर्माण करवाया था.
उनका कहना है कि कोई भी देशी-विदेशी पर्यटक इस किले में पर्यटक के रूप में आकर उनके परिवार के साथ रह सकता है। अभी विगत दो वर्षों के दौरान इस किले में उनके मेहमान के रूप में चार जर्मन, दो फ्रांसीसी, दो ब्रिटिश नागरिकों सहित तमाम देशी-विदेशी पर्यटक परिवार के साथ इस किले का आनद उठा चुके हैं.
राजा राम सिंह की धरोहर अब समूचे बुंदेलखंड की धरोहर बन चुकी है या कहें कि समूचे उत्तर-प्रदेश की धरोहर हो चुकी है।
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