आज की ये पोस्ट हमारे एक दोस्त के लिए. ऐसे हम दोनों लोगों की उमर के अन्तर हिसाब से दोस्त शब्द उचित नहीं लगेगा पर जैसा कि कहा जाता है कि दोस्ती की कोई उमर नहीं होती ठीक ऐसा ही हम लोगों के साथ है. अपने इसी दोस्त के ब्लॉग की सूचना देने के लिए ये पोस्ट लिख रहे हैं. जावेद नाम है हमारे मित्र का, वे बहुत अच्छे चित्रकार हैं. विगत 27 वर्षों से चित्रकारी कर रहे हैं और लगभग 10000 से अधिक चित्र बना चुके हैं।
जावेद की खास बात ये है कि वे वाकई कलाकार हैं क्योंकि उन्हों ने धर्म, मजहब से ऊपर उठ कर हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्मों के लिए पाक चित्रकारी की है. ख़ुद चित्रकारी करने के साथ-साथ वे बच्चों को सिखाते भी हैं. अब तक वे निःशुल्क रूप से 20000 के आसपास बच्चों को चित्रकारी के गुन सिखा चुके हैं. देश के लगभग हर प्रान्त में अपनी पेंटिंग बना चुके जावेद निःशुल्क ही चित्रकारी करते हैं. व्यवसायिक सोच से कहीं बहुत ऊपर जावेद मानवता की सोच रखते हैं। उत्तर प्रदेश की ललित कला अकादमी के सदस्य जावेद एकदम फक्कड़ तरीके से जीवन जीते आ रहे हैं।
आर्थिक तंगी ने उन्हें देश-विदेश के मानचित्र पर सम्मानित तो नहीं किया है पर वे अपने सीधे-सरल स्वाभाव के कारण जनता में अत्यधिक लोकप्रिय हैं. अपने इसी स्वाभाव के कारण आज की चापलूसी, रिश्वतखोरी से दूर रहे तो इससे सम्मानों, पुरस्कारों ने उनसे दूरी बनाये रखी. खास बात ये है की जावेद ने अभी तक हर जगह पर चित्रकारी निःशुल्क ही की है. किसी न किसी रूप से उनकी कला को अधिक से अधिक लोग देखें, इन्टरनेट पर लोग देखें, ऐसी मासूम सी अभिलाषा उन्हों ने मुझसे की. इसके परिणामस्वरूप जावेद का एक ब्लॉग बना दिया, जिस पर समय-समय पर उनकी पेंटिंग को लाने का काम होता रहेगा, देखना सराहना करना आपका काम होगा।
अजमेर शरीफ, बनारस, इलाहबाद, उज्जैन आदि जगहों पर मक्का शरीफ, दुर्गाजी, हनुमानजी आदि के चित्र बनाने वाले जावेद ने सबसे पहला चित्र ताजमहल का बनाया था जो मात्र 1.50 रुपये में बिका था. जावेद नेट के द्वारा भी पेंटिंग बनाए को तैयार हैं बस उसका सही मूल्य मिलने की जरूरत है.
सलाम है आपको और जावेद जी के हुनर को...क्या पता कब जावेद जी को उनके हुनर का ईनाम मिल जाए.
जवाब देंहटाएंनीरज