14 अगस्त 2008

दर्द का रिश्ता

अभी खाली बैठे-बैठे देश-विदेश के हालचाल लेने के लिए टीवी पर समाचार चैनलों को उलट-पलट रहा था कि एन डी टी वी पर आई एक ख़बर ने चौंका दिया. शायद किसी के लिए वो ख़बर बड़ी न हो, मेरे लिए भी नहीं है पर उस ख़बर ने चैनलों की उल्टा-पलती को एक पल को थाम दिया. ख़बर थी मुंबई की निकिता के बच्चे के जन्म को लेकर, उसी बच्चे की ख़बर जिसको लेकर निकिता ने गर्भपात कराने की अनुमति अदालत से मांगी थी और अदालत ने अपने जवाब में मिकिता को बच्चे को जन्म देने का आदेश दिया था या कहें कि गर्भपात करवाने की अनुमति निकिता को नहीं दी थी. ख़बर में बताया गया कि समय से पहले निकिता के उस बच्चे को जन्म दिया जो मृत पैदा हुआ.

हालाँकि सीधे-सीधे हम लोगों का इस केस से किसी भी तरह से जुडाव नहीं था पर पता नहीं क्यों एक पल को गहरा सदमा सा लगा। हो सकता है कि काफी लंबे समय से कन्या भ्रूण ह्त्या निवारण के लिए काम करते-करते इस तरह के केस में ना चाहते हुए भी एक तरह का जुडाव सा हो जाता है. हो सकता है कि किसी भी तरह के क्षणांश दुःख का ये ही कारण हो?

बहरहाल निकिता के द्वंद्व की बड़ी ही दुखद समाप्ति हुई पर उसके अदालत तक पहुंचे केस ने इस तरह के मामलों के लिए बहस जरूर छेड़ दी है। गर्भपात के क़ानून को लेकर कानूनविदों को फ़िर से विचार करना होगा. जहाँ विज्ञान की तकनीकों का उपयोग आने वाली पीढी को गर्भ से ही सुंदर और बुद्धिमान बनाने के लिए किया जा रहा हो (क्लोनिंग को इसी सन्दर्भ में स्थापित किया जा रहा है) तब किसी माँ की अपील पर कानूनी दलीलों से अधिक उसकी भावनाओं को समझना आवश्यक था. फिलहाल बाकी बच्चा दुःख, क्षोभ.......................

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इस ब्लॉग पर मेरी आज 50 वीं पोस्ट है. बहुत देर से सोचने में लगा कि क्या लिखा जाए, किस विषय पर लिख जाए पर ये कतई नहीं नहीं सोचा था कि एक माँ के दर्द को लिखा जाएगा, ऐसा दर्द जो मिट कर भी नहीं मिटा, जो होकर भी नहीं मिटता.

2 टिप्‍पणियां:

  1. मात्र ४ माह से भी कम के सफर में ५० वीं पोस्ट-अर्ध शतक-वाह!! बहुत बधाई कुमारेन्द्र भाई.

    साल पूरा होने तक आपसे दोहरे शतक की दरकार है. अनेकों शुभकामनाऐं.

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  2. अर्धशतक के लिए बधाई हो कुमारेन्द्र जी

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