देखा भइया आपने, भारत देश के लिए आज का दिन एक बार फ़िर से काला दिन रहा. वैसे आज संसद में जो कुछ हुआ वह वाकई शर्मशार करने वाला था. आज संसद में प्रधानमंत्री द्वारा लाये गए विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी थी। बहस कल से जारी थी, आज भी हुई. बहस के बाद वोटिंग होनी थी पर तभी भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद ने धमाका कर दिया. धमाका किसी बम का नहीं था पर किसी बम से कम भी नहीं था.
संसद के भीतर एक बैग खोल कर उसमें से नोटों की गड्डियाँ निकल कर सदन में दिखाते हुए सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया कि उन्हें तथा उनकी पार्टी के दो और सांसदों को वोटिंग से बाहर रहने के लिए तीन-तीन करोड़ रुपये की घूस दी गई है। इसी घूस का एडवांस एक करोड़ रुपये यह है. सदन सन्नाटे में था, टी वी देख रहे लोग सन्नाटे में आ गए. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है?
इस सन्नाटे की गहमागहमी के बाद सदन को स्थगित कर दिया गया। सदन के बाहर शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला. सत्ता पक्ष का कहना था कि ये विपक्ष की साजिश है उन्हें बदनाम करने की, विपक्ष विशेष रूप से बी जे पी का कहना था कि सरकार ने यह ग़लत काम किया है और वो इस्तीफा दे. बी जे पी के सांसद ने बाद में अमर सिंह एवं अकबर अहमद पर आरोप भी लगाया. सत्य क्या है ये तो अब जांच के बाद पता चलेगा पर इससे कई सवाल खड़े हो गए हैं.
पहली बात तो कि संसद जैसी संवेदित जगह पर कोई सांसद बैग लेकर कैसे जा पहुंचा? कल को कोई सांसद बैग के अन्दर हथियार लेकर भी जा सकता है।
दूसरी बात कि क्या आज के समय में वो भी तब जब कि आरोप लग रहे हों कि सांसद खरीदे जा रहे हैं, तब हमारे सांसद इतनी बड़ी बेवकूफी करेंगे कि वे खुलेआम रिश्वत के रुपये लेंगे?
तीसरी बात कि आज के सांसद के पास एक करोड़ रुपये कोई बड़ी रकम नहीं है, ऐसे में जब कि सांसदों की खरीद का मूल्य पच्चीस करोड़ रुपये तक लग चुका हो, कोई सांसद मात्र तीन करोड़ में बिकने को तैयार हो जाएगा?
सबसे अहम्, मेरी नज़र में कि आज किसी भी सांसद के लिए एक करोड़ रुपये एक साथ दिखा देना अजूबा नहीं है। ऎसी स्थिति में सबूतों के साथ रिश्वत की बात की जाती तो शायद ज्यादा तार्किक लगती.
इसके अतिरिक्त बी जे पी के सांसद ने रिश्वत की ख़बर करने के लिए संसद को क्यों चुना? उस समय क्यों चुना जब वोटिंग के लिए एक घंटा ही रह गया हो? मीडिया को, सदन को उसी समय क्यों नहीं बाते जिस समय उसको रिश्वत दी गई थी? ज़रा-ज़रा सी बात पर मीडिया को बुलाने वाले नेता इतनी गंभीर घटना पर मीडिया को बुलाना कैसे भूल गए?...................................सवाल बहुत हैं जवाब तो वही देंगे जो इससे जुड़े हैं।
एक बात जो मुझे पता है कि ये सांसद बीके हो या नहीं पर किसी के सवालों का जवाब देने नहीं आ रहे। अरे जब अपनी उस जनता को जवाब नहीं देते जो उन्हें चुन कर सदन में भेजती है तो बाकी की क्या औकात?
फिलहाल आरोप-प्रत्यारोप, गहमागहमी के बीच सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया. अमेरिका से डील होगी या नहीं ये तो बाद की बात है पर अब सरकार के हमराज़ लेफ्ट के स्थान पर समाजवादी होंगे.
yahi sach hai
जवाब देंहटाएंसारा घटनाक्रम बेहद अफसोसजनक रहा.
जवाब देंहटाएं