25 मई 2008

इतनी परेशानी क्यों?

मेरे ब्लॉग पर स्त्री विमर्श विमर्श के पीछे क्या छिपा है के बाद नारी शक्ति को बहुत बुरा लगा. किस बात का बुरा लगा, क्या जो लिखा गया वो झूठ है? स्त्री विमर्श के नाम पर चल रहा गोरखधंधा क्या है ये समझने की जरूरत है. आख़िर ये तय किया जाए कि स्त्री विमर्श है क्या? ये सही है कि इस विमर्श को लेकर पुरूष को परेशान होने की जरूरत नहीं, पर क्या ये सत्य नहीं कि स्त्री विमर्श के नाम पर समाज में स्त्री-पुरूष के बीच खाई को पैदा किया जा रहा है?
पहली बात ये कि विमर्श किस बात का? महिला को घर की नौकर समझने का या किसी नारी को तरक्की करने का? किसी भी स्थिति में नारी को घर पर काम करने वाला समझना नितांत ग़लत है. यदि कोई महिला परिवार की सेवा करती है, उसका मतलब ये नहीं की वो कामगार है. परिवार को, बच्चों की देखभाल अपने आप में एक बड़ी जिम्मेवारी होती है, इस बात को पुरूष समाज आसानी से नहीं समझ सकता. पर आज विमर्श के नाम पर स्त्री-पुरूष को आपस में लड़ाने का काम किया जा रहा है.
कुछ भी हो स्त्री विमर्श की वास्तविकता बताने पर उन्ही नारियों को ज्यादा कष्ट होता है जो किसी न किसी रूप में विमर्श के नाम पर अपना झंडा बुलंद करना चाहती हैं. इन स्त्री विमर्श वकालातियों से एक ही सवाल की क्या वे अपनी पुत्री के लिए उसी तरह का संसार चाहती हैं जिसकी वकालत वे दूसरी नारियों के लिए करती हैं?

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