पिंक सिटी कुछ स्वार्थी लोगों के कारण लाल हो गई. तमाम लोग परिवार को रोता बिलखता छोड़ कर चले गए. किसे कहा जाएगा इसका जिम्मेवार? कोई दोष देता है नेताओं को, कोई दोष देता है पुलिस को, कोई दोष देता है पड़ोसी देशों की पोलिसी को. आख़िर कोई भी हो पर जिम्मेवार तो है, क्या सोचा है कहीं हम ही तो नहीं?
देश चलाने वाले नेताओं को चुनता कौन है? हम…
जाति धर्मं पर लड़ने को तैयार होता कौन है? हम…..
देश की तरक्की सोचे बिना बहाता कौन है? हम….
तो सोचो जिम्मेवार कौन?
सरकारें तो हर दुर्घटना के बाद देश मे कला अध्याय जुड़ गया कह कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती हैं. इंदिरा गांधी की हत्या हुई तब काला अध्याय जुड़ गया, राजीव गाँधी की हत्या हुई तब काला अध्याय जुड़ गया, जब बाबरी मस्जिद गिरी तब काला अध्याय जुड़ गया , गुजरात दंगे हुए तब काला अध्याय जुड़ गया, संसद पर हमला हुआ तब काला अध्याय जुड़ गया, अयोध्या, अक्षरधाम आदि मंदिरों पर धमाके हुए तब काला अध्याय जुड़ गया ….कितने काले अध्याय जुड़ते रहेंगे देश के साथ. क्या इनका कोई हल होगा या आतंकी बम फोड़ते रहेंगे और हमारी सरकारें काले अध्याय जोड़ कर अगले हमले का इंतजार करती रहेंगी.
शाबास तुम बम फोड़ते रहो हम मरने को तैयार हैं।
कुमार जी
जवाब देंहटाएंआप सही कह रहे हैं। जाने कब देश के लोगों में सही सोच जागेगी।
अत्यंत दुखद एवं निन्दनीय घटना.
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