रायटोक्रेट कुमारेन्द्र
कभी हसरत थी आसमां को छूने की, अब तमन्ना है आसमां के पार जाने की.
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16 मई 2008
बुंदेलखंड की यात्रा
ओरछा
बुंदेलखंड का दर्शनीय स्थल है। यहाँ के लाला की अपनी एक महान गाथा है। आन, बान, शान के लिए कैसे जिया जाता है, कैसे मरा जाता है कोई लाला हरदोल से सीखे। बुंदेलखंड के पानीदार पानी की एक नहीं अनेक कहानियाँ हैं जो आज भी एक मिसाल हैं।
1 टिप्पणी:
Udan Tashtari
16 मई 2008 को 5:56 pm बजे
ओरछा की यादें ताजा करा दीं, आभार.
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ओरछा की यादें ताजा करा दीं, आभार.
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