कल हम मित्रों की आम बैठकी लगी। इधर-उधर हल्की-फुल्की चर्चा, मनोरंजन, हँसी-ठहाके और कुछ बिन्दुओं पर गरमागरम बहस। पर इतनी ही गरम जिससे सम्बन्धों पर असर न पड़े। चर्चा होत-होते बीच-बीच में किसी का उदाहरण किसी की खिंचाई।
खिंचाई और छीछालेदर के मामले में तो देश में दो-तीन बिन्दु बड़े ही ऊँची रेटिंग वाले हैं। राखी सावंत, मल्लिका सहरावत, मीडिया और मीडिया के लिए फिल्मी गपशप।
अब नौजवानों की चर्चा हो और आज की अविवाहित महिला के स्वयंवर की बात न उठे सम्भव ही नहीं। बात चूँकि गम्भीर मुद्दे के रूप में नहीं हो रही थी, आखिर राखी ही गम्भीर नहीं है इस मुद्दे पर।
सवाल उठा कि क्या वाकई राखी शादी करेगी?
जवाब आया क्या ये भी सच का सामना है?
देखा सवाल के बदले जवाब। हा..हा...हू..हू हुई और फिर एक जुमला उछला कि चलो कम से कम एक लड़की ने कुछ लड़के वालों के दिमाग को तो ठिकाने लगा दिया।
इस पर भी एक कटाक्ष तैरा-जिनका ठिकाना नहीं था वही आये हैं इस ठिकाने पर। फिर हा..हा।
क्या सही है, क्या गलत इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। राखी की चर्चा हो और सही गलत का आकलन किया जाये तो बस। क्या देश में मुद्दों की कमी रह गई है?
चाय-वाय पी गई और सब अपने-अपने घरों को रवाना हुए। रात को हमने सोचा कि क्या सामाजिक बदलाव इसी तरह से आता है। एक और चैनल है जहाँ पर लड़के-लड़कियाँ अपने साथी को ढँूड रहे हैं। इस तरह से शादी कितने घरों में हो रही है? कितने लड़के वाले हैं जो अपने अहम को इस कदर त्याग रहे हैं? कितनी लड़कियाँ हैं जो बोल्ड होकर शारीरिक सम्बन्धों तक की चर्चा कर ले रहीं हैं?
इस सबके बाद भी लगता है कि सामाजिक बदलाव आया है। हमारे समाज में शादी-प्यार को लेकर कुछ बदलाव भी आया है। जहाँ नहीं आया है वहाँ लाया जा रहा है। जहाँ छूट दे दी गई हैं वहाँ बदलाव अतिवाद का शिकार हुआ है।
इसी अतिवाद पर छूट पर एक चुटकुला सुनाकर बात समाप्त करते हैं।
खिंचाई और छीछालेदर के मामले में तो देश में दो-तीन बिन्दु बड़े ही ऊँची रेटिंग वाले हैं। राखी सावंत, मल्लिका सहरावत, मीडिया और मीडिया के लिए फिल्मी गपशप।
अब नौजवानों की चर्चा हो और आज की अविवाहित महिला के स्वयंवर की बात न उठे सम्भव ही नहीं। बात चूँकि गम्भीर मुद्दे के रूप में नहीं हो रही थी, आखिर राखी ही गम्भीर नहीं है इस मुद्दे पर।
सवाल उठा कि क्या वाकई राखी शादी करेगी?
जवाब आया क्या ये भी सच का सामना है?
देखा सवाल के बदले जवाब। हा..हा...हू..हू हुई और फिर एक जुमला उछला कि चलो कम से कम एक लड़की ने कुछ लड़के वालों के दिमाग को तो ठिकाने लगा दिया।
इस पर भी एक कटाक्ष तैरा-जिनका ठिकाना नहीं था वही आये हैं इस ठिकाने पर। फिर हा..हा।
क्या सही है, क्या गलत इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। राखी की चर्चा हो और सही गलत का आकलन किया जाये तो बस। क्या देश में मुद्दों की कमी रह गई है?
चाय-वाय पी गई और सब अपने-अपने घरों को रवाना हुए। रात को हमने सोचा कि क्या सामाजिक बदलाव इसी तरह से आता है। एक और चैनल है जहाँ पर लड़के-लड़कियाँ अपने साथी को ढँूड रहे हैं। इस तरह से शादी कितने घरों में हो रही है? कितने लड़के वाले हैं जो अपने अहम को इस कदर त्याग रहे हैं? कितनी लड़कियाँ हैं जो बोल्ड होकर शारीरिक सम्बन्धों तक की चर्चा कर ले रहीं हैं?
इस सबके बाद भी लगता है कि सामाजिक बदलाव आया है। हमारे समाज में शादी-प्यार को लेकर कुछ बदलाव भी आया है। जहाँ नहीं आया है वहाँ लाया जा रहा है। जहाँ छूट दे दी गई हैं वहाँ बदलाव अतिवाद का शिकार हुआ है।
इसी अतिवाद पर छूट पर एक चुटकुला सुनाकर बात समाप्त करते हैं।
एक बार गाँव का एक भोला-भाला आदमी शहर खरीददारी करने को आया। उसको गाँव के एक-दो पढ़े-लिखे लोगों ने बताया कि शहर में ठगी बहुत होती है। सामान का जो भी दाम बताया जाये उसके आधे पर ही उस चीज को लेना। आदमी को सबसे अधिक जरूरत थी एक छाते की। उसने दुकान वाले से पूछा छाता कितने का? दुकान वाले ने उसका दाम सौ रुपये बताया। आदमी बोला कि पचास में देना हो तो दो। दुकान वाले ने सोचा मोल-तोल से बचो, उसने छाता अस्सी रुपये में देना चाहा। गाँव वाला बोला चालीस में देते हो तो दो। दुकान वाले ने फिर दाम कम किये, आदमी ने फिर दाम आधे बताये। अन्त में दुकान वाला बोला बाबा तुम छाता अब दस रुपये में ही ले लो। आदमी ने फिर कहा पाँच में देना हो तो दो। दुकान वाला गुस्से से बाला कि बाबा ज्यादा सिर न खाओ, तुम इसे फ्री में ही ले जाओ। आदमी ने पूरी मासूमियत से कहा तो फिर दो दे दो। |
---|
bhai khali dene se hi kaam nahin chlega ....
जवाब देंहटाएंfree me dena hai toh ghar pe pahunchana bhi padega ____ha ha ha ha ha ha ha ha
राखी सावंत वो भी फ्री में .........ना बाबा ना ...........
जवाब देंहटाएंराखी की चर्चा हो और सही गलत का आकलन किया जाये तो बस। क्या देश में मुद्दों की कमी रह गई है?
जवाब देंहटाएंपर ये मुद्दा चला बहुत है..:))))राखी डी ग्रेट का ...:)))))
Joke is good ..hahaha..
राखी का स्वयंवर एक फूहड़ मजाक के अलावा कुछ नहीं है. दुर्भाग्य यह है कि सस्ता मनोरंजन ही लोकप्रिय हो रहा है. बड़ा तीखा व्यंग्य किया है. बधाई .
जवाब देंहटाएंव्यंग्य और हास्य का सुन्दर समायोजन।
जवाब देंहटाएंबधाई!
और कुछ हो या न हो आपको पोस्ट लिखने का मसाला तो मिल गया.
जवाब देंहटाएं