22 सितंबर 2008

ये देश है वीर जवानों (दंगा फसादों) का

एक गीत देश में होने वाली हर शादी में बजता दीखता है "ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का....." क्यों बजता है इस पर चर्चा नहीं कर रहे हैं. बहुत साल पहले इसी गीत की तर्ज़ पर देश के नेताओं पर एक गीत लिखा था, अज के हालातों ने फ़िर पुरानी डायरी पलट कर वही गीत आप लोगों के सामने रखने को मजबूर किया. आइये आप लोग भी "ये देश है वीर जवानों का..." की धुन के साथ नेताओं के गीत का आनंद उठायें.

ये देश है दंगा, फसादों का,
घोटालों का, बेईमानों का,
इस देश का नेता.....ओये...
इस देश का नेता शातिर है,
बस जीता अपनी खातिर है।
ओ॥ओ...ओ॥ओ..ओ....

कहीं शोर मचा है मन्दिर का,
कहीं गूँज उठी है मस्जिद की,
कहीं तड-तड गोली....
कहीं तड-तड गोली चलतीं हैं,
बस खून की नदियाँ बहतीं हैं।

कुर्सी ही इनका सपना है,
अरे देश कौन सा अपना है,
चाहे देश हमारा..... ओये
चाहे देश हमारा मिट जाए,
पर कुर्सी इनको मिल जाए।

ओ...ओ...ओ...ओ...ओ....

ये देश है दंगा फसादों का,
घोटालों का...........

(बुरा न लगे किसी को और गाओ ये देश था वीर जवानों का.......ये देश है वीर जवानों का........ये देश रहेगा वीर जवानों का......)

3 टिप्‍पणियां:

  1. ओ...ओ...ओ...ओ...ओ....

    ये देश है दंगा फसादों का,
    घोटालों का...........



    --बेहतरीन!!!!

    जवाब देंहटाएं
  2. कहीं तड-तड गोली....
    कहीं तड-तड गोली चलतीं हैं,
    बस खून की नदियाँ बहतीं हैं।
    " a reality show..."

    Regards

    जवाब देंहटाएं
  3. सेंगर साहब बहुत सुंदर और सटीक पैरोडी है। आप इजाजत दें तो इस रचना को मेरे नाटक के साथियों को उपयोग करने के लिए सुझा दूँ।

    जवाब देंहटाएं