ओडिशा के भुवनेश्वर
में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT – केआईआईटी) के एक छात्रावास में एक नेपाली छात्रा के मृत पाए जाने के बाद इस निजी इंजीनियरिंग
संस्थान में नेपाली विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया. दरअसल नेपाली
छात्रा प्रकृति का शव मिलने के बाद संस्थान के कुछ विद्यार्थियों द्वारा इसे
आत्महत्या न बताकर हत्या बताया. विद्यार्थियों ने आरोप लगाया कि प्रकृति के बैच का
ही भारतीय छात्र उसे प्रताड़ित कर रहा था. शिकायतें करने के बाद भी संस्थान की तरफ
से उस लड़के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. यद्यपि मृतक छात्रा के चचेरे भाई की
शिकायत पर पुलिस ने आरोपी भारतीय छात्र को गिरफ्तार करके उसके खिलाफ आत्महत्या के
लिए उकसाने का केस दर्ज किया है तथापि विद्यार्थियों का कहना है कि संस्थान इस
मामले को दबाने का कार्य करता रहा.
इस घटना के बाद
कैम्पस में स्थिति तनावपूर्ण होने लगी थी. 16 फरवरी की शाम बी-टेक थर्ड ईयर की नेपाली छात्रा प्रकृति का
शव कॉलेज के हॉस्टल में मिलने के बाद नेपाली विद्यार्थियों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन
के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. इसी के बाद संस्थान द्वारा जवाबी कार्यवाही
करते हुए नेपाली विद्यार्थियों को संस्थान, हॉस्टल छोड़ने के
निर्देश दिए गए. विद्यार्थियों का कहना था कि विश्वविद्यालय के स्टाफ ने सभी
विद्यार्थियों से तत्काल हॉस्टल खाली करने को कहा. इस दौरान उनके साथ मारपीट किये
जाने का भी आरोप लगाया गया. संस्थान की तरफ से अमानवीयता सी दिखाते हुए
विद्यार्थियों को दो बसों में भरकर कटक रेलवे स्टेशन पर उतार दिया गया. ये सोचने
वाली बात है कि संस्थान के कर्मी नेपाल जाकर वहाँ से विद्यार्थियों को अपने
संस्थान में अध्ययन करने हेतु लेकर आते हैं. सैकड़ों की संख्या में नेपाली
विद्यार्थी यहाँ इंजीनियरिंग में अध्ययनरत हैं. ऐसे में संस्थान प्रशासन को इन
विद्यार्थियों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए.
इस सन्दर्भ में एक
स्थिति विचारणीय है कि आजकल व्यक्ति हो अथवा संस्थान सभी के ऊपर पद, प्रतिष्ठा का अहंकार बहुत बुरी तरह
से हावी है. ये आवश्यक नहीं कि व्यक्ति निजी सेवा में है अथवा सरकारी सेवा में, ये भी आवश्यक नहीं कि वह किस श्रेणी का कर्मचारी है अथवा अधिकारी है,
उसके पास यदि किसी भी तरह का अधिकार है तो बहुतायत में वह उसका दुरुपयोग ही करता
है. उसके स्तर से काम चाहे छोटा हो अथवा बड़ा, सामने वाले पर पूरी हनक दिखाई जाती
है. संस्थानों की स्थिति भी कुछ इससे अलग नहीं है. यहाँ भी विभिन्न पदों पर
व्यक्ति ही बैठे हुए हैं जो मूलरूप से अहंकारी शैली को अपनाए हुए रहते हैं. यही
कारण है कि केआईआईटी प्रशासन ने पूरे मामले को गम्भीरता से लेते हुए इस घटना के
मूल में पहुँचने की कोशिश किये बिना अपनी तानाशाही, अपने अधिकार
का प्रयोग करते हुए नेपाली विद्यार्थियों से संस्थान से बाहर निकाल दिया.
अब खबर है कि
नेपाली छात्रा की मृत्यु के मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका
हुई है. छात्रा के बैचमेट भारतीय छात्र के बाद संस्थान के तीन डायरेक्टर और दो
सिक्योरिटी गार्ड्स को गिरफ्तार किया गया. दो देशों के बीच का मामला होने के कारण
आनन-फानन इस मामले की जाँच के लिए ओडिशा सरकार ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य
सचिव, महिला एवं बाल
विकास विभाग के प्रमुख सचिव और उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त-सह-सचिव वाली हाई लेवल
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन कर दिया है. इस कमेटी की जाँच का परिणाम क्या होगा ये
तो बाद की बात है मगर इस संस्थान सहित अन्य सभी संस्थानों के पदाधिकारियों, कर्मियों को अपने व्यवहार में बदलाव लाने की आवश्यकता है.
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