अमेरिका के
राष्ट्रपति जो बाइडेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है. अमेरिकी सदन के अध्यक्ष
केविन मैक्कार्थी ने राष्ट्रपति पर औपचारिक महाभियोग जाँच किये जाने की घोषणा की. सदन के अध्यक्ष ने राष्ट्रपति और उनके बेटे हंटर बाइडेन के खिलाफ आरोपों पर कहा कि राष्ट्रपति ने अपने बेटे के
व्यापारिक लेनदेन की जानकारी के बारे में झूठ बोला है. उनके अनुसार बाइडेन परिवार के सदस्यों को कंपनियों से लाखों डॉलर का
भुगतान प्राप्त हुआ था और उस लेनदेन को अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा संदिग्ध बताया
गया. बाइडेन पर यह भी आरोप है कि
उन्होंने अपने सरकारी कार्यालय का उपयोग अपने बेटे के व्यावसायिक भागीदारों के साथ
समन्वय बनाने के लिए किया था. बाइडेन और उनके बेटे पर यूक्रेन, चीन में अपने व्यापारिक
सौदों में अपने परिवार के नाम पर प्रभावी ढंग से उपयोग करने का आरोप है. इसके
अलावा हंटर पर अवैध रूप से हथियार रखने, 1.4 मिलियन डॉलर टैक्स
चोरी करने का आरोप भी है. यह पहला मौका है जब अमेरिका में वहाँ के कार्यरत राष्ट्रपति
के बेटे के विरुद्ध आपराधिक आरोप तय हुए हैं. अमेरिका
के न्याय विभाग ने हंटर को टैक्स और हथियारों से जुड़े मामलों में दोषी बताया है.
राष्ट्रपति बाइडेन
पर उनके बेटे के विवादास्पद अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के मामले को आधार बनाकर उन पर औपचारिक
महाभियोग जाँच शुरू किए जाने का प्रस्ताव दिया गया. अमेरिकी संसद में इस प्रस्ताव के
समर्थन में 221 वोट पड़े वहीं इसके विरुद्ध
212 वोट पड़े. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा द्वारा किसी राष्ट्रपति,
किसी वरिष्ठ कार्यकारी अथवा न्यायिक अधिकारी को उसके पद से हटाने की औपचारिक प्रक्रिया
का पहला कदम महाभियोग होता है. अमेरिकी संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के देशद्रोह,
रिश्वत, दुराचार अथवा अन्य किसी बड़े अपराध में शामिल होने की आशंका होने की स्थिति में उस पर महाभियोग लगाया जाता है.
यद्यपि अमेरिकी संविधान में दुराचार तथा बड़े अपराध को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं
किया गया है तथापि ऐसा माना गया है कि इसका स्वीकार्य उस स्थिति में होगा जबकि
उच्चस्तरीय सार्वजनिक अधिकारी द्वारा सत्ता का दुरुपयोग
किया जाये. इस तरह की स्थिति में यह भी अनिवार्य रूप से
माना गया है कि आवश्यक नहीं कि इसमें सामान्य आपराधिक क़ानून का उल्लंघन हो.
स्पष्ट है कि यदि उच्चस्तरीय सार्वजनिक अधिकारी द्वारा सत्ता
के दुरुपयोग की बात सामने आती हो, भले ही कानूनी उल्लंघन न
होता हो तो भी उस पर महाभियोग लगाया जा सकता है.
महाभियोग जाँच
शुरू करने के लिए सदन में साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है. मुक़दमे के पश्चात् दोष
सिद्ध होने की स्थिति और निष्कासन के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है. सर्वोच्च
न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में राष्ट्रपति पर मुक़दमे सम्बन्धी कार्यवाही
की जाती है. ऐसी स्थिति में अमेरिका विधायिका की सीनेट न्यायालय की तरह से कार्य करती
है. अमेरिका में वहाँ की विधायिका में कुल दो सदन हैं. एक सदन को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स
कहा जाता है. जिसमें चुने जाने वाले सदस्यों की संख्या उस राज्य की जनसँख्या के आधार
पर निर्धारित होती है. हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स के अलावा दूसरे सदन को सीनेट कहा जाता
है. इसमें अमेरिका के प्रत्येक राज्य से दो प्रतिनिधि चुने जाते हैं. प्रतिनिधियों
की यह संख्या निश्चित होती है भले ही उस राज्य की जनसँख्या कितनी भी हो. इन चुने हुए
प्रतिनिधियों को सीनेटर कहा जाता है. राष्ट्रपति के दोषी पाए जाने पर उसे पद से हटाने
की शक्ति सीनेट को प्राप्त है.
महाभियोग की
मंजूरी मिलने के बाद मुक़दमे की सुनवाई के लिये इन्हीं सीनेटर्स के बीच से कुछ सांसदों
को चुन लिया जाता है. ये चुने हुए सीनेटर्स प्रबंधक के रूप में जाने जाते हैं जो एक
तरह से अभियोजकों की भूमिका निभाते हैं. इस मुक़दमे में जिस तरह सीनेट से चुने सीनेटर्स
अभियोजक के रूप में होते हैं, उसी तरह से राष्ट्रपति का भी
अपना वकील होता है और वह राष्ट्रपति की ओर से अपना पक्ष रखता है. मुक़दमे की पूरी सुनवाई
होने के पश्चात् सीनेट दोषसिद्धि का परीक्षण करती है, जिसके उपरांत वोट देने का प्रावधान
है. यदि इस वोटिंग के द्वारा सीनेट में उपस्थित कम से कम दो तिहाई सदस्य राष्ट्रपति
को दोषी पाते हैं तो उसको अपने पद से हटा दिया जाता है.
अमेरिका के अभी
तक के इतिहास में इससे पूर्व तीन राष्ट्रपतियों डोनाल्ड ट्रंप (2019, 2021), बिल क्लिंटन (1998)
और एंड्रयू जॉनसन (1868) पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स
द्वारा महाभियोग लगाया गया है. इनमें डोनाल्ड
ट्रंप अमेरिकी इतिहास के ऐसे पहले राष्ट्रपति बन गए हैं जिन्हें एक ही कार्यकाल में
दो बार महाभियोग का सामना करना पड़ा. अभी तक किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति को महाभियोग
द्वारा पद से हटाया नहीं गया है. महाभियोग का सामना करने वाले उक्त तीनों राष्ट्रपतियों
को सीनेट में विमुक्त कर दिया गया.
अमेरिका के महाभियोग
सम्बन्धी इतिहास को और बाइडेन के खिलाफ तथ्यों के आधार पर डेमोक्रेटिक पार्टी ने महाभियोग
को मंजूरी देने को बेबुनियाद बताया है. भले ही आने वाले समय में मुक़दमे की कार्यवाही
के पश्चात् बाइडेन को इससे विमुक्त कर दिया जाये मगर अगले वर्ष होने वाले राष्ट्रपति
चुनाव के महत्त्वाकांक्षी बाइडेन के समक्ष मुश्किल तो खड़ी हुई ही है.
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