04 नवंबर 2023

लातों के भूत बातों से नहीं मानते

एक कहावत बचपन से सुनते चले आ रहे कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते. इस कहावत में दो बातें बहुतों को पसंद नहीं आती. इनमें एक तो है लातों और दूसरा है भूत. ऐसा अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कह रहे. ऐसे लोग दिखावे के लिए आदर्शवादी बनते हैं और उसके साथ-साथ कुछ लोग महाज्ञानी. इन लोगों के लिए लातों का सन्दर्भ यहाँ हिंसा से लिया जाता है, ज़ाहिर सी बात है कि आदर्शवाद का ढोंग करने वालों के लिए, अहिंसा को लेकर भाषण फेंकने वालों के लिए किसी भी तरह की हिंसा में विश्वास नहीं. अब जब बात लातों से समझाने की होगी तो इन लोगों को कष्ट होगा ही. इसी तरह भूत-प्रेत जैसी किसी भी शब्दावली पर विश्वास न करने वाले भी इस कहावत के भूत शब्द से आपत्ति जताते हैं. उनके लिए ऐसी कोई चीज अस्तित्व में नहीं. अब भूत अस्तित्व में है या नहीं, इसे तो हम स्वयं भी नहीं कह सकते क्योंकि अभी तक ऐसा कोई मेल-मुलाकात का अनुभव नहीं रहा. ऐसा ही कुछ अनुभव भगवान, ईश्वर जैसी चीज से है. मेल-मुलाकात उससे भी नहीं है, बावजूद इसके बहुत सारे लोग इसका अस्तित्व स्वीकारते हैं.




बहरहाल, ऐसे लोगों की बातों को ऐसे लोगों के पास ही रहने देते हैं और आगे चलते हैं हम अपनी बात पर. इतनी बात तो बस एक दिन बात की बात में निकल आई थी, आज भी निकल कर आई तो सोचा कि कह ही डालें. ये लातों वाले भूत जिन्दा भूत हैं जो अपनी लातों का इस्तेमाल करते हैं चलने के लिए और दूसरे अपनी लातें इस्तेमाल करते हैं इन पर गिराने के लिए. ऐसे लोग आमजीवन में हम सबके करीब, हम सबके आसपास पाए जाते हैं. इनके क्रियाकलाप, इनकी कार्यपद्धति संतोषजनक नहीं होती है. ऐसे लोग खुद को सबसे अलग और सबसे बुद्धिमान समझते हैं. ऐसे ही एक महाशय हमारे आसपास भी आजकल पाए जा रहे हैं. समय ने कुछ ऐसा चक्र चलाया कि इन महाशय को बैठे-बिठाये सत्ता हाथ लग गई. यहाँ उन महाशय का नाम, दायित्व जानबूझकर नहीं खोला जा रहा है. ऐसा नहीं कि ऐसा करने से हम डरते हैं, किसी कानूनी प्रक्रिया से या किसी विधिक कदम से बल्कि ऐसा करने के पीछे हमारी व्यक्तिगत सोच है. हमारा मानना है कि कुछ लोग लातों के भूत होने के साथ-साथ बिल्ली का गू भी होते हैं, जिसके द्वारा न तो घर-आँगन को लीपा-पोता जा सकता है और न ही उससे कंडे पाथे जा सकते हैं.


ऐसे ही एक बिल्ली के गू को जब लातों की सेवा करने का सन्देश भिजवाया तो तीन महीने से रुका हुआ काम आनन-फानन मात्र दो दिन में हो गया. ऐसा नहीं कि अगले के पास सिर्फ लातों वाला सन्देश भिजवाया हो, बल्कि बातों के द्वारा भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समझाने की भरपूर कोशिश की. इसके बाद भी अगला सिर्फ लातें खाने के मूड में ही दिखा. बहरहाल, अब समस्या का हालिया समाधान होने के आसार बन गए हैं. लातों के भूत लातों की वास्तविकता को जान चुके हैं. इसके आगे की कहानी दो-चार दिन बाद.

 






 

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