29 जून 2023

स्मृतियों को जीवित रखता है कैमरा

प्रत्येक वर्ष 29 जून को राष्ट्रीय कैमरा दिवस मनाया जाता है. इस दिन को कैमरे और उसके आविष्कार की याद में मनाया जाता है. कैमरा एक अपूरणीय उपकरण है जो किसी व्यक्ति, स्थान, कार्यक्रम आदि की छवियों को चित्र में कैद करने में सहायक है. जॉर्ज ईस्टमैन, जिनको फ़ोटोग्राफ़ी का जनक माना जाता है, ने कैमरे को जन-जन तक पहुँचाया. यद्यपि उन्होंने कैमरे का आविष्कार नहीं किया था तथापि कैमरे के उपयोग में सहजता और उसके उत्पादन में सुधार हेतु कई अतिरिक्त चीजें विकसित की. उनके प्रयासों ने कैमरे को सहजता प्रदान की और उसे जन-जन तक व्यापक रूप से पहुँचाया.


आरंभिक दौर में कैमरे बड़े-बड़े और वजनदार थे. कालांतर में इस क्षेत्र में भी विकास हुआ और अनेक तरह के कैमरे विकसित हुए. वर्तमान में डिजिटल कैमरों में अनेक प्रकार की विशेषताएँ पाई जाती हैं. डिजिटल कैमरों के आने के बाद से न केवल व्यावसायिक फोटोग्राफी आसान हो गई बल्कि शौकिया फोटोग्राफर्स के लिए भी बहुत सुविधा हो गई. अब फोटोग्राफी सभी उम्र के लोगों के लिए आकर्षक हो गई है. अब सभी लोगों के लिए फ़ोटो खींचना बहुत आसान हो गया है. बिजनेस इनसाइडर के अनुसार वर्ष 2017 में लोगों ने 1.2 ट्रिलियन से अधिक डिजिटल तस्वीरें खींचीं. 




राष्ट्रीय कैमरा दिवस के बहाने कुछ कैमरों के बारे में आपको जानकारी देते चलें. पहले कैमरे से लेकर आधुनिक डीएसएलआर कैमरे तक का सफर सदियों पुराना है. बड़े-बड़े, भारी-भरकम कैमरों से लेकर मोबाइल में समाहित कैमरों तक का अपना ही रोचक इतिहास है.


कैमरों के संसार में जो सबसे शुरुआती कैमरा आया उसे इतिहास का पहला कैमरा कहा जाता है. कैमरा ऑब्स्क्युरा नाम के कैमरे का वैचारिक विवरण 400 ईसा पूर्व की चीनी पांडुलिपियों में मिलता है. अरब के एक विद्वान इब्न अल-हेथम ने 1000 ईस्वी के आसपास ऑब्स्कुरा कैमरा का विचार प्रस्तुत किया था. यह कैमरा चित्र नहीं लेता था बल्कि इसके स्थान पर यह एक छोटे से छेद के माध्यम से प्रकाश को एक स्क्रीन पर प्रोजेक्ट करता था. इससे सामने की वस्तु का चित्र स्क्रीन पर उभरता था. इसे संरक्षित, सुरक्षित नहीं रखा जाता था.


एक जर्मन लेखक जोहान ज़हान ने सन 1685 में कैमरे का एक डिज़ाइन प्रस्तावित किया जिसे बाद में हैंडहेल्ड रिफ्लेक्स कैमरा के नाम से जाना गया. इसके बाद फोटोग्राफिक कैमरा सबके सामने आया. पहला फोटोग्राफिक कैमरा सन 1816 में फ्रांसीसी जोसेफ निसेफोर नीपसे द्वारा बनाया गया. नीपसे ने सिल्वर क्लोराइड-लाइन वाले कागज पर फोटोग्राफिक चित्र निकाले. आज भी उस कैमरे की सबसे पुरानी मौजूदा तस्वीर सन 1826 के आसपास उन्हीं के द्वारा निकाली गई थी. उसका ऑरिजिनल शॉट आज भी ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय में सुरक्षित रखा हुआ है. जैसे-जैसे तकनीक विकसित होती गई, लोगों को कैमरे का महत्त्व, उपयोग समझ आता रहा वैसे-वैसे कैमरे और विकसित रूप में सामने आते रहे. कालांतर में डगुएरियोटाइप्स कैमरा, मिरर कैमरा, कोडक कैमरा आदि का आना हुआ. वर्ष 1905 और 1913 के बीच कैमरा निर्माताओं ने 35 मिमी फिल्म की रोल के साथ कैमरे के उपयोग पर जोर दिया. इसमें फिल्म रोल को कैमरे में लगाया जा सकता था और निकाला भी जा सकता था. जर्मन वैज्ञानिक और फोटोग्राफर ऑस्कर बार्नैक को इस फ़िल्म कैमरे को प्रस्तुत करने वाले के रूप में जाना जाता है.




रील वाले कैमरे आने के बाद फोटोग्राफी की दुनिया में एक तरह का बदलाव देखने को मिला. अब खींचे गए चित्र को र्सुरक्षित रखना आसान हो गया था. लोगों को अपनी स्मृतियों को संजोने का अवसर मिलने लगा था. बावजूद इसके अभी कैमरा के क्षेत्र में, फोटोग्राफी के क्षेत्र में क्रांति आनी शेष थी. इसका आगमन हुआ सन 1999 में जब पहली बार पहला एसएलआर कैमरा निकाला गया. इस सिंगल लेंस कैमरा (एसएलआर) ने कुछ वर्षों के बाद ही पूरी तरह से सिंगल-लेंस रिफ्लेक्स कैमरों की जगह ले ली. बाद में इसी का डिजिटल संस्करण आ जाने के बाद इस डिजिटल सिंगल-लेंस रिफ्लेक्स कैमरा (डीएसएलआर) के द्वारा उच्च गुणवत्ता वाली फोटोग्राफी सहज हुई. आज यह कैमरा शौकीन और पेशेवर फोटोग्राफर्स के बीच जबरदस्त रूप सेलोकप्रिय है. 


कैमरे की इस विकास यात्रा में अब लगातार बेहतरीन डिजिटल कैमरों का आगमन बना हुआ है. बेहतरीन क्षमता और गुणवत्ता वाले लेंसों के द्वारा भी कैमरों ने अपना रूप और अधिक विकसित कर लिया है. इनके आने से फोटोग्राफी सहज हुई थी मगर बाद में मोबाइल में कैमरा आने से फोटोग्राफी सर्वसुलभ और अत्यंत आसान हो गई. निश्चित ही कैमरों की दुनिया ने व्यक्तियों को अपने अतीत के साथ, अपनी यादों के साथ जीना सिखाया है, उसकी स्मृतियों को सुरक्षित रखा है, उसके यादगार पलों को जिंदा बनाये रखा है. 





 

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