22 अप्रैल 2021

वो घटना भी हो गई बाली उमर की

­­ज़िन्दगी है तो उसके साथ बहुत सी यादें भी जुड़ जाती हैं. इन जुड़ती यादों में बहुत सी अच्छी यादें होती हैं और बहुत सी बुरी भी. इन यादों के अच्छे-बुरे स्वभाव के चलते मन उदास भी रहता है तो मन में उल्लास भी बना रहता है. फ़िलहाल जीवन है तो जीवन से जुड़े अच्छे-बुरे पलों से सामना करते ही रहना होगा. इनसे चाहकर भी कोई इन्सान बचा नहीं रह सकता है.


अपने जीवन की तमाम सारी अच्छी बुरी यादों के बीच आज का दिन पिछले सोलह सालों में भुला नहीं सके हैं, चाह कर भी भुला नहीं सके हैं. सामान्य गति से दौड़ते-चलते जीवन में अचानक से एक स्पीड ब्रेकर लग गया था. अब उस दिन के बारे में, उस दिन की घटना के बारे में कुछ लिखने की आवश्यकता नहीं क्योंकि हमारे साथ के सभी लोगों को उस दिन के बारे में, उस घटना के बारे में सब मालूम है. जिन मित्रों को नहीं मालूम है उनको धीरे-धीरे सब जानकारी होती रहेगी.


फिलहाल तो इतना ही कि उस दिन की घटना सोलह बरस की बाली उमर को छू चुकी है. दिनों दिन वो याद जवान होती रहती है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि उस दिन मिला दर्द आज तक एक पल को न ही कम हुआ है और न ही गायब हुआ है. बस सब चल रहा है, अपनी गति से पल रहा है. उस दिन की यादें, उस दिन का दर्द, उस शाम का मंजर, सड़क पर दौड़ती कार, सबको तसल्ली देते-देते टूटती-जुड़ती साँसें, अपनों का साथ, गैरों का अपनापन.... बहुत-बहुत कुछ है जो आज बाली उमर के बिंदु को छू गया.


हमारा दिल तो पहले ही बाली उमर का शिकार था, अब वे घटनाएँ, वो दिन भी इसकी गिरफ्त में आ गया.




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वंदेमातरम्

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