एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते, एक
रहिन हम.
ईर ने कहा चलो शिकार कर आबें,
बीर ने कहा चलो शिकार कर आबें,
फत्ते बोले चलो शिकार कर आबें,
हमऊँ बोले हाँ चलो शिकार कर आबें.
ईर ने मारी एक चिरैया,
बीर ने मारी दो चिरैयाँ,
फत्ते मारे तीन चिरैयाँ,
और हम???? हम मारे एक चुखरिया.
हा हा हा....हा हा हा.... हा हा हा...
अबे चुप......... का समझे हो, चुखरिया मारबो सरल है का?
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते, एक
रहिन हम.
समय बदला, ईर, बीर, फत्ते की कहानी भी बदली. एक दिन ईर, बीर, फत्ते ने कुछ अलग ही कहानी गढ़नी शुरू कर दी.
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते, एक रहिन हम.
ईर कहें चलो सोशल मीडिया पर आया जाए,
बीर कहें चलो सोशल मीडिया पर आया जाए,
फत्ते बोले चलो सोशल मीडिया पर आया जाए,
हमऊ कहा चलो सोशल मीडिया पर आया जाए.
ईर बनाए अपना प्रोफाइल,
बीर बनाए अपना प्रोफाइल,
फत्ते बनाए अपना प्रोफाइल,
और हम???? हम तो अभै साइनइन करबे में लगे रहे.
हा हा हा.....
हा हा हा...... हा हा हा....
अबे चुप..........दूसरे की आई डी हैक कर साइन इन
करबो आसान है का?
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते, एक
रहिन हम.
ईर कहें चलो कछु लिखो जाए,
बीर कहें चलो कछु लिखो जाए,
फत्ते बोले चलो कछु लिखो जाए,
हमऊ कहा चलो कछु लिखो जाए.
ईर लिखे चौकस फोटो वाली पोस्ट,
बीर लिखे चौकस फोटो वाली पोस्ट,
फत्तेऊ लिखे चौकस फोटो वाली पोस्ट,
और हम???? हम लिखे खाली टाइटिल.
हा हा हा.....
हा हा हा..... हा हा हा....
अबे चुप..........पूरी पोस्ट पढ़ता कौन है,
सबईं टाइटिलई तो देखत हैं.
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते, एक
रहिन हम.
ईर कहें चलो लाइक-कमेंट तो देख लेओ,
बीर कहें चलो लाइक-कमेंट तो देख लेओ,
फत्ते बोले चलो लाइक-कमेंट तो देख लेओ,
हमऊ बोले चलो लाइक-कमेंट तो देख लेओ.
ईर बटोरें खूबईं लाइक-कमेंट,
बीर बटोरें खूबईं लाइक-कमेंट,
फत्तेऊ ने बटोरी खूबईं लाइक-कमेंट,
और हम???? हमाई पोस्ट रह गई निपट खाली-छूँछी.
हा हा हा.....
हा हा हा..... हा हा हा....
अबे चुप.......बिना लाइक-कमेंट मिले भी बराबर लिखत
रहबो सरल है का?
एक रहिन ईर, एक रहिन बीर, एक रहिन फत्ते, एक रहिन हम.
शानदार
जवाब देंहटाएंआनंदमय ... बहुत आनंद आया पढ़कर । आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सरल है, बिना लाइक और कमेंट के लिखना । इलैक्ट्रोनिक मीडिया ने ये काम ख़राब किया है ।हमें त्वरित टिप्पणी की आदत होती जा रही है ।जबकि रचना तुंरन्त पाठक के मन पर असर नहीं करती है । पहले के समय में पाठक पहले रचनाएँ पढ़ता था ,चिंतन करता था उसके बाद रचनाकार को चिट्ठी लिखता था । आपकी रचना में अच्छा व्यंग्य निहिति है ।बधाई
जवाब देंहटाएंबचपन में सुनी थी यह, गाँव में। अब इस बात को समझ पाई। सत्य है।
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