संभव हो आप सभी ने ये चुटकुला सुन रखा हो. अरे, सुन भी रखा हो तो एक बार
सुनकर हँसने में क्या समस्या है. आखिर हम किसी एक दुःख पर को जितनी बार
देखते-सुनते हैं, उदास हो जाते हैं तो एक चुटकुला कई-कई बार सुन कर हँस नहीं सकते.
इधर कुछ दिनों से लोगों ने माहौल को बद से बदतर बनाने की कोशिश करनी शुरू कर दी
है. बेवजह की समस्याओं का अम्बार लोगों के घरों में ठूँसना आरम्भ कर दिया है. इससे
लोगों में निराशा, हताशा देखने को मिलने लगी है. बहरहाल, सबकी अपनी-अपनी कहानी है.
हम सबकी कोशिश इस समय छोटी-छोटी बातों से भी बड़ी-बड़ी खुशियाँ निकालने की होनी
चाहिए मगर कुछ लोग हैं जो सिर्फ समस्याओं का, दुखों का, निराशा का, हताशा का ही
रोना रोते रहते हैं. खैर, आगे बढ़ते हैं.
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एक
लड़का था जो ऐसी ही किसी घनघोर बंदी का शिकार हो गया और उसके बाद एक ही बात की रट
लगाए रहता, गुलेल बनाऊँगा, चिड़िया मारूँगा. उसकी इस रट को दूर करने
का बहुत प्रयास किया गया. कई-कई बार सेनेटाइज किया गया, कई-कई दिन के लॉकडाउन में
रखा गया, क्वारंटाइन किया गया मगर नहीं उसकी यही एक रट लगातार बनी रही, गुलेल
बनाऊँगा, चिड़िया मारूँगा.
घर
वालों ने बहुत इलाज करवाया. तमाम जगह उसके सैम्पल भेजे गए मगर हर बार रिपोर्ट
पॉजिटिव ही आ जाती. हर बार लगता कुछ सही हो रहा है मगर दिमागी संक्रमण फिर बढ़ जाता
और वही एक बात, गुलेल बनाऊँगा, चिड़िया मारूँगा.
कहते
हैं न कि करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, सो एक दिन घरवालों को एक
बेहतरीन डॉक्टर का पता चल गया. मालूम चला कि उसके पास कोई इलाज है जो इस संक्रमण
को ख़त्म कर सकता है. मरता क्या न करता वाली स्थिति में घरवाले उस लड़के को लेकर उस
डॉक्टर के पास पहुँचे. डॉक्टर ने लड़के का पूरा मौका-मुआयना किया और फिर चौदह दिन
के इलाज के बाद एकदम ठीक हो जाने का दावा किया. घर वालों को विश्वास तो न हुआ मगर
यही सोचकर कि शायद लाभ हो जाये, लड़के को डॉक्टर के नर्सिंग होम में भर्ती करवा
दिया.
चौदह
दिन बाद घरवाले आये. डॉक्टर ने कहा कि अब आपका लड़का एकदम सही है. इसका दिमागी
संक्रमण ठीक हो गया है. अब कोई समस्या नहीं.
घर
वालों ने अपनी तसल्ली के लिए डॉक्टर के सामने ही इसका परीक्षण करना चाहा. उन्होंने
लड़के से पूछा, अब कैसा लग रहा है?
लड़के
ने जवाब दिया, अब अच्छा महसूस हो रहा है.
बहुत
दिनों बाद लड़के के मुँह से किसी बात का सही जवाब मिले पर घरवाले ख़ुशी से झूम उठे न
तो अभी तक वह हर बात का एक ही जवाब देता था, गुलेल बनाऊँगा, चिड़िया मारूँगा.
लड़का
बोला, मुझे घर ले चलो.
घरवालों
ने उसके ठीक होने को और जाँचने के लिए पूछा, घर जाकर क्या करोगे?
लड़का
बोला, अब अपनी छूटी पढ़ाई करूँगा.
लड़के
के मुँह से ऐसी बातें देख घरवालों का हौसला बढ़ा. वे बड़े खुश हुए. वे लड़के की बात
को आगे पूछते जाते और लड़का जवाब देता जाता. (अब घरवालों के सवालों के बजाय सीधे
लड़के की कही बातें लिखते हैं. क्योंकि जिनको ये चुटकुला मालूम है, वे बोर होने
लगेंगे और जिनको नहीं मालूम वे भी बोर होंगे)
घरवालों
की बातों का जवाब देते हुए लड़का बोलता रहा, खूब पढ़ाई करूँगा. उसके बाद विदेश
जाऊँगा. वहाँ कोई नौकरी करूँगा या फिर अपना बिजनेस करूँगा. उससे खूब पैसा कमाऊँगा.
फिर खूब बड़ा घर खरीदूँगा. बड़ी सी कार खरीदूँगा. जब सब चीजें हो जाएँगी तो फिर एक
विदेशी मेम से शादी करूँगा.
घरवाले
झूम-झूम जा रहे थे कि लड़का अब इतनी बातें करने लगा. पढ़ाई से लेकर शादी तक आ गया.
उधर डॉक्टर भी अपने इलाज पर इतरा रहा था.
लड़के
से घरवालों ने पूछा, शादी के बाद?
लड़का
चुप रहा फिर बहुत धीरे से बोला, शादी के बाद पार्टी होगी. सब लोग आयेंगे. गिफ्ट
लायेंगे, पार्टी करेंगे. फिर हम लोग रात को घर आ जायेंगे. उसके बाद हम दोनों
सुहागरात मनाएंगे.
इसके
बाद लड़का शरमाते हुए बोला, फिर कमरे की लाइट बंद कर दूंगा. उसके बाद मैं उस
गोरी मेम के एक-एक करके कपड़े उतारूँगा. फिर... फिर...
घरवालों
ने सोचा कि आगे की बात बताने में शरमा रहा है. उन्होंने डॉक्टर का बहुत-बहुत आभार
व्यक्त किया और लड़के से घर चलने को कहा.
लड़के
ने जोश में कहा, पूरी बात तो सुन लो. गोरी मेम के कपडे उतारने के बाद उसके
अंडरगारमेंट्स में से इलास्टिक निकालूँगा. उससे गुलेल बनाऊँगा, चिड़िया मारूँगा.
अब घरवाले भौचक्के से कभी लड़के को देखते, कभी डॉक्टर को. डॉक्टर भी अब इलाज को अगले चौदह-इक्कीस दिन बढ़ाने पर विचार करने लगा.
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कहिये, कुछ लोगों का हाल ऐसा ही है न? चाहे कितना भी इलाज करो, करवाओ मगर
रट एक बात की ही मचाए हैं.
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#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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