कोई
भी त्यौहार हो और उसे आपको निपट अकेले मनाना पड़े तो उस त्यौहार का आनंद नहीं रह
जाता. इस बार कुछ ऐसा ही हुआ है होली में. घर के सभी सदस्य घर से बाहर हैं. हमारी
अपनी याददाश्त में अभी तक एक भी त्यौहार ऐसा नहीं हुआ है जबकि घर के सदस्य घर पर
उपस्थित न हुए हों. इस बार इसका कारण बच्चों के पेपर होना बताया जा रहा है. याद
आता है बचपन का वो दौर जबकि हम बच्चे भी बोर्ड परीक्षाओं के दौर से निकला करते थे.
उस दौर में परीक्षाओं की समस्या अपनी जगह होती थी मगर पारिवारिक समागम का अपना ही
महत्त्व हुआ करता था.
उस
समय भी होली का त्यौहार था. ये त्यौहार ऐसा होता है जबकि किसी न किसी तरह की
परीक्षाएं स्कूल, कॉलेज में चल रही होती हैं. उस समय भी उत्तर प्रदेश माध्यमिक
शिक्षा परिषद् की हाईस्कूल बोर्ड की परीक्षाएँ होनी थी. छोटी बहिन की परीक्षाएँ
होली के दो-तीन दिन बाद ही होनी थी. हम सभी को लग रहा था कि शायद इस होली पर चाचा
न आ सकें. साल भर भले ही किसी का आपस में न मिलना हो पाए मगर उस समय होली और
दीपावली ऐसे त्यौहार होते थे जबकि सभी लोग घर में, उरई आते थे. समय के साथ ये
परम्परा भी समाप्त हो गई. बहरहाल, उस समय भी बोर्ड की परीक्षाओं के चलते चाचा के
आने का संशय था. साफ़ सी बात थी कि छोटी बहिन की परीक्षाओं के चलते ऐसा संभव भी नहीं
था कि चाचा अकेले आते. होली के दिन पास आते जा रहे थे और संशय के बादल छट नहीं रहे
थे. अचानक से छोटी होली वाले दिन चाचा-चाची सपरिवार उरई प्रकट हो गए. हम सभी लोगों
की ख़ुशी का कोई हिसाब न रहा.
बोर्ड
की परीक्षा का होना और होली का धमाल एकसाथ मचाया गया. होली करने के अगले दिन चाचा
सपरिवार उरई से वापस हो लिए. आज के समय को देखते हैं और उस समय को देखते हैं तो
लगता है कि आज छोटी कक्षाओं में ही पढ़ाई का कितना टेंशन है या फिर हम सभी ने
जानबूझ कर एक बोझिल वातावरण अपने आसपास बना लिया है? कैरियर, पढ़ाई, योग्यता,
प्रवीणता आदि उस समय भी महत्त्व रखती थी मगर पढ़ाई के लिए, नंबर के लिए किसी तरह की
अंधी दौड़ नहीं थी. आज ऐसा लगता है जैसे प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही बच्चों को
किसी उच्च सेवा में चयन का रास्ता चलना हो. खैर, कहीं न कहीं हम सभी अपने आपसे ही
मुँह चुरा रहे हैं, आपसी मेलजोल से बचना चाह रहे हैं, आपसी संबंधों का विस्तार
नहीं करना चाहते हैं, इसी कारण कभी बच्चों की पढ़ाई का, परीक्षाओं का बहाना करके,
कभी अपनी छुट्टियों का बहाना करके हम सभी बस अपने आपमें ही सिमटे रहना चाहते हैं.
आज का ये अकेलापन कल के लिए निश्चित ही भयावह वातावरण का निर्माण कर रहा है.
.#हिन्दी_ब्लॉगिंग
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