उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ
में आयोजित डिफेन्स एक्सपो 2020
में सम्मिलित होने का अवसर मिला. ये अवसर किसी तरह के VIP होने के नाते नहीं, किसी तरह के सरकारी मेहमान होने के नाते नहीं वरन खुद
सरकार की उस अनुशंसा के बाद मिला जो अंतिम दो दिनों में जनता के लिए निशुल्क
प्रवेश के द्वारा दिया गया था. यद्यपि हमारे मित्र के DRDO में
उच्च पदस्थ होने के कारण तथा सचिवालय में एक परिचित के होने के कारण यथोचित पास की
व्यवस्था भी हो गई थी मगर एक तरफ सरकारी नियमों के पालन के चलते, दूसरे पारिवारिक
भावनाओं का ध्यान करते हुए उन पास का प्रयोग अपने लिए न करते हुए उन्हीं दिनों का
इस्तेमाल किया गया जो सरकार ने आम जनता को दिए थे. राजनैतिक, सामाजिक संपर्क होने
के बाद भी उनका उपयोग करना हम न सीख पाए और समझ नहीं आ रहा कि कब सीख पायेंगे,
हमने अपने संबंधों का उपयोग नहीं किया. पता नहीं इस तरह की व्यावहारिक स्थिति को
हम कब अपना सकेंगे, कह नहीं सकते. एक्सपो का अनुभव जबरदस्त रहा. भारतीय सेना, उसकी
क्षमता के बारे में जितना सुना था उससे अधिक देखने को मिला. सुखद अनुभूति हुई.
बहरहाल, डिफेन्स एक्सपो के
निशुल्क दिवस पर भयंकर भीड़ के बीच अपने दिव्यांग कार्ड का उपयोग करके अन्दर तो
आसानी से पहुँच गए. वहाँ भयंकर भीड़ के बीच समझ नहीं आया कि क्या किया जाये.
वायुसेना के ओपेन पंडाल का आनंद लिया फिर एक पंडाल में घूमने के दौरान अपने मित्र
को फोन किया. हॉस्टल जीवन के मित्र हमेशा से ही दिल में बसे रहे हैं, आज तक बसे
हैं वे यदि ऐसे सुनहरे मौके पर उपस्थित हैं तो फिर कहना ही क्या. अपने मित्र अमित
से बात हो चुकी थी, एक्सपो में घुसते ही उसे फोन किया और जल्द ही वह हमारे साथ उसी
तरह मौजूद था जैसे कि हम हॉस्टल में साथ रहते थे. फिर क्या था, एक्सपो एक तरफ, हम
दोनों दोस्त एक तरफ. इस बीच एक गड़बड़ या कहें कि भीड़ की बमचक ऐसी हुई कि हमारे साथ
आये परिवार के शेष सदस्य हमसे अलग हो गए. चूँकि हमने अपने स्तर पर कई जगह उनकी
प्रतीक्षा की मगर लगभग लाख लोगों की भीड़ में उनके न मिलने की सोच और उनके साथ कुछ
गलत न होगा की सकारात्मक सोच के साथ हम अपने दोस्त के साथ एक्सपो देखने में व्यस्त
हो गए. DRDO में वैज्ञानिक हमारे मित्र अमित के साथ कई हॉल देखे, अनेक आधुनिक तकनीकों
को देखा और समझा. अपने आपमें गर्व की अनुभूति हुई.
इसी बीच हमारे भांजे श्री भी
मिल गए, परिवार के बाकी लोग भी मिल गए. अपने भांजे सहित मित्र के साथ चाय की
चुस्की के साथ अपनी थकान मिटा कर एक बार फिर एक्सपो की सैर करने निकल पड़े. भारतीय
सैन्य क्षमता के दर्शन हम उनके लाइव शो में कर ही चुके थे. यद्यपि भारतीय सेना के
अदम्य साहस के लिए किसी शो की आवश्यकता नहीं, उसके बारे में हम बचपन से पढ़ते-सुनते
चले आ रहे हैं मगर लाइव शो के द्वारा उसी क्षमता को अपनी आने वाली पीढ़ी को दिखाना
अपने आपमें सुखद अनुभव रहा. हमारे बच्चों ने जाना और पहचाना कि भारतीय सेना की
क्षमता क्या है, उसकी तकनीक क्या है, उसका विस्तार कहाँ तक है, उसका अनुशासन क्या
है. हमारा व्यक्तिगत अनुभव यह है कि ऐसे आयोजन, भले ही छोटे स्तर पर हों, जनता के
बीच होने चाहिए. जनता को, आने वाली पीढ़ी को, वर्तमान पीढ़ी को समझना चाहिए कि सेना
का मतलब सिर्फ युद्ध नहीं बल्कि सेना का मतलब अनुशासन, सुरक्षा, देश-प्रेम, दृढ़
निश्चय, प्रतिज्ञा आदि भी है.
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