28 जनवरी 2020

दिल की नागरिकता के लिए भी बने एक नागरिकता कानून


अपने कॉलेज में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर होने वाले कार्यक्रम में विचार रखना हैं, इसी सन्दर्भ में नेट पर इधर-उधर कुछ वेबसाइट को उलटा-पलटा जा रहा था. कई-कई बिंदु एक जैसे ही मिले और उनका सार यही निकला कि 30 दिसम्बर 2014 तक जो अवैध प्रवासी देश में आ चुके हैं, यदि वे नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं तो उनके प्रार्थना-पत्र पर सरकार विचार करेगी. इसके साथ-साथ मुख्य रूप से जो बिंदु इसमें सर्वाधिक विवाद का विषय बना हुआ है वह है कि छह गैर-मुस्लिमों को ही देश में नागरिकता के लिए पात्र माना गया है. इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के मुसलमानों को भारत में नागरिकता नहीं दी जाएगी. संशोधनों में यह भी शामिल किया गया है कि अब ऐसे प्रवासी शरणार्थी बारह वर्ष की जगह मात्र छह वर्ष रहने के बाद ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र हो जायेंगे. इसके अलावा और भी अनेकानेक बिंदु हैं जो इस कानून के साथ जुड़े हुए हैं.


नागरिकता संशोधन कानून के प्रावधानों को पढ़ते समय महसूस हुआ कि ऐसा कोई कानून दिल सम्बन्धी मामलों के लिए भी होना चाहिए. किसे दिल के मामले में घुसपैठ करनी है, कौन दिल के मामले में नागरिकता का आवेदन करेगा, कितने वर्ष दिल में रहने के बाद कौन आवेदन का पात्र होगा, किसे दिल सम्बन्धी मामलों के लिए आवेदन का, नागरिकता लेने का अधिकार नहीं होगा यह सबकुछ कानूनी रूप से निर्धारित होना ही चाहिए. दिल का हाल भी अपने देश के जैसा कर दिया है. जिसे देखो वह मुँह उठाये चला आता है और आने के बाद वह यहीं की नागरिकता का दावा भी करता है. ऐसे में समस्या दिल के मालिक को नहीं वरन उसे अवश्य होती है जो दिल की नागरिकता पहले से हासिल किये है. ऐसे में विवाद होना ही होना है. यहाँ एक बात और प्रमुख है जो सभी विवादों की जड़ में है और वो है पहली नजर का मिलना, उसका आकर्षण होना. दिल के मामले में आँखों को अहमियत देने का दुष्परिणाम यही होना था. आँखों का क्या है, सुबह से शाम तक सैकड़ों से मिलती-जुलती हैं, उनकी आँखों में आँखें डाल कर बातें करती हैं, ऐसे में पहली नजर का आकर्षण हो जाना कोई आश्चर्य नहीं.

अब जबकि पहली नजर के आकर्षण को, प्रेम को स्वीकारोक्ति मिली है तो इसका सीधा सा मतलब है कि उसके लिए किसी न किसी ने एक कानून बना रखा है. अब ऐसे कानून का लाभ उठाकर ये पहली नजर वाले सीधे दिल में अपनी नागरिकता के लिए सक्रिय हो जाते हैं. यहाँ मुश्किल तो ये हो जाता है कि जो वर्षों से दिल की नागरिकता लिए बैठा है उस पर ये पहली नजर वाले ज्यादा प्रभावी हो जाते हैं. इसका कारण ये है कि जो स्थायी रूप से अपनी नागरिकता लेकर बैठा है वह संख्याबल में कम है और इसके उलट पहली नजर वालों की संख्या तो रोज ही बढ़ जाती है. ये संख्या घुसपैठिया रूप में बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में अराजकता फैलनी ही है. पहली नजर वालों को एकजुट होकर उपद्रव करना ही है. इस उपद्रव में रोज वे भी शामिल हो जाते हैं जो उस दिन के पहली नजर वाले होते हैं. ऐसे में दिल को किसी तरह के उत्पात से बर्बाद होने से बचाने के लिए कोई न कोई कानून अपेक्षित है. ऐसा इसलिए भी जल्दी किया जाना चाहिए क्योंकि देरी होने की स्थिति में कोई जहीन काण्ड, हसीन बाग़ हो गया तो स्थायी नागरिकता वालों को मुश्किल हो जाएगी. आखिर पहली नजर वाले घुसपैठिया रोज ही बढ़ते जा रहे हैं.

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