प्रयाग के पवित्र संगमस्थल पर जहाँ मातृभाव से पूज्य नदियों की पावनधारा प्रवाहमान हो रही है वहीं मातृशक्ति स्वरूपा बालिकाओं की नवचेतना को समर्पित शिविर की अलौकिकता दृष्टिगोचर हो रही है. माघ मेला परिसर के विशालतम हृदयस्थल पर देश की पूज्य महिलाओं के नाम पर स्थापित सोलह नगरों में लगभग सोलह हज़ार बालिकाओं की उपस्थिति, उनकी क्रियाशीलता समूचे परिसर को गुंजायमान किए है. रानी लक्ष्मीबाई नगर, झलकारी बाई नगर, अनुसूया नगर, माता जीजाबाई नगर, भगिनी निवेदिता नगर, महादेवी वर्मा नगर आदि जैसे नामकरण की आभा में कक्षा पाँच से लेकर कक्षा बारह तक की बालिकाएँ प्रशिक्षित हो रही हैं.
विद्या भारती द्वारा आयोजित समुत्कर्षा कार्यक्रम में इतनी बड़ी संख्या में बालिकाओं का चार दिवसीय आवासीय शिविर के लिए अपने-अपने घरों से आना, संस्था के प्रति अभिभावकों में बने विश्वास को व्यक्त करता है. वर्तमान दौर में जहाँ कि संस्कार, संस्कृति को पुरातनक़ालीन विषय मान लिया गया है, वहाँ एक-दो नहीं, दस-पचास नहीं बल्कि सोलह हज़ार के आसपास बेटियों का आना, रुकना उसी संस्कारित विश्वास का परिणाम है जो विद्या भारती ने, संघ ने परिवारों में स्थापित किया है.
विशाल प्रांगण में बने शिविर, एक-एक शिविर में साठ-साठ बच्चियों का अपनी शिक्षिकाओं सहित रुकना, एक-एक गतिविधि का अनुशासनात्मक ढंग से सम्पन्न होना, एक-एक पल का सदुपयोग बालिकाओं के उत्कर्ष हेतु होना विलक्षणता को दर्शाता है. प्रातःकाल से आरम्भ प्रार्थना से शुरू गतिविधियाँ योग, बौद्धिक, बालिकाओं की कलात्मकता, रचनात्मकता के साथ सांस्कृतिक आयोजन पर आकर रुकती हैं. हर्षोल्लास से पूर्ण, ऊर्जा, जोश को अपने में समेटे बच्चियाँ निश्चित ही कुछ नया सीखकर अपने घर वापसी करेंगी. शिविर के रहन-सहन से उनके भीतर उपजा विश्वास, आत्मशक्ति पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक उत्थान में सहगामी बनेगी, ऐसा विश्वास हुआ आयोजन देखकर, बच्चियों की सक्रियता देखकर.
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27 जनवरी 2018 से 30 जनवरी 2018
इलाहाबाद, संगम माघ मेला परिसर
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