आज १७ सितम्बर को हमारे आदरणीय बाबा जी की पुण्य-तिथि है. आज पूरे २० वर्ष हो गए हैं बाबा जी को हम सबसे दूर गए, इसके बाद भी ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो....
बाबा जी की कमी को किसी भी रूप में भरा नहीं जा सका है पर व्यक्तिगत रूप से हमने अपने हर महत्वपूर्ण कार्य में उनकी उपस्थिति को महसूस किया है...उनका आशीर्वाद सदा-सदा हमारे साथ था, है, रहेगा...ये विश्वास है.
आज वे भले ही सभी के लिए इस दुनिया में न हों पर हमारे लिए वे सदा हमारे साथ हैं...
अपनी ये कविता आज हम अपने आदरणीय बाबा जी को समर्पित करते हैं...
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कोई है जो
दिल के आसपास रहता है सदा,
अपने एहसास, अपनी उपस्थिति को
दर्शाता है सदा।
उसके पास होने का
एहसास मात्र ही
नहीं होने देता है उदास
न ही परेशान।
लगा रहता है मन में
सदा यही.....कि
उदासी का एक लम्हा ही
उदास कर जायेगा उसे भी
जा है दिल के आसपास
अपनी यादों के सहारे,
एक मीठे एहसास के सहारे।
पर....
इस मीठे एहसास के पीछे भी
एक दर्द है छिपा,
वह बहुत पास होकर भी
बहुत दूर है अभी,
आंखों में बसे होने के बाद भी
हाथों की पहुंच से दूर है अभी।
उसकी आवाज
हमारे दिल तक पहुंचती है,
हवा में उड़-उड़ कर
उसकी खुशबू फैलती है।
एहसास के सहारे वह
रहता है आसपास
पर....
हकीकत में बहुत दूर है अभी।
लेकिन यही क्या कम है कि
यादों के सहारे ही सही,
हवा में फैलती खुशबू के रूप में ही सही,
कोई है तो हमारा अपना
जो...
दूर होकर भी बहुत,
दिल के करीब है बहुत।
बाबा जी को हमारा भी सादर प्रणाम !
जवाब देंहटाएंआपके बाबा जी को नमन ... मन के भावों को खूबसूरती से लिखा है
जवाब देंहटाएंसेंगर जी,
जवाब देंहटाएंआरज़ू चाँद सी निखर जाए,
जिंदगी रौशनी से भर जाए,
बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की,
जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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