आज जैसे ही देश के सबसे बड़े परिवार की मुखिया ने देश की सबसे पुरानी पार्टी की बैठक ली...एकदम से तमाम मुर्दों से मंत्रियों में और चापलूस वक्ताओं की जुबानों में हरकत होने लगी...
सब वाह वाह कह उठे, कि अब आ गया तारणहार...
बड़े-बड़े कद्दावर नेताओं की, योग्य व्यक्तियों की इस कदर चापलूसी देखकर कुछ पंक्तियाँ याद आ गईं...गौर फरमाएँ...
"राजा ने कहा रात है,
रानी ने कहा रात है,
प्रजा ने कहा रात है,
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ये सुबह-सुबह की बात है.”
चित्र गूगल छवियों से साभार
क्या खूब कही
जवाब देंहटाएंपर इसी का नाम एरिस्ट्रोक्रेसी है
काहे की डेमोक्रेसी
सटीक चिंतन।
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मिल गयी दूसरी धरती?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।