नौकरी की तलाश पर धन नहीं,
कोई व्यापार करना है पर धन नहीं,
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मकान बनवाना है पर धन नहीं,
इलाज करवाना है पर धन नहीं,
भाई-बहिन की शादी करवानी है पर धन नहीं,
भोजन की जुगाड़ करना है पर धन नहीं,
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धन नहीं...धन नहीं....धन नहीं.....
आखिर कब तक ईमानदार रहा जाए?
अपने आपसे कब तक लड़ा जाए?
चित्र गूगल छवियों से साभार
धन की नहीं, संयम की जरुरत है.
जवाब देंहटाएंयदि सब संयम बरतेंगे तो यह सारी चीजें पहुँच में आ जायेंगी जो अभी बेतहाशा धन मांगती हैं.
शायद आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया , वाकई अच्छा लगा .
जवाब देंहटाएंआज घर की हर आँख का सपना सब्ज़ी और रोटी है
सब मिलकर कमा रहे हैं फिर भी जेब छोटी है .
http://commentsgarden.blogspot.com/
बात में दम है | यह धन की जरुरत ही आदमी को इमानदार नहीं रहने देती |
जवाब देंहटाएंमेरे विचार में ईमानदार बने रहने के लिए सिर्फ ईमानदारी का एहसास चाहिए।
जवाब देंहटाएं---------
भगवान के अवतारों से बचिए...
जीवन के निचोड़ से बनते हैं फ़लसफे़।