15 जनवरी 2011

शीलू तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं!!!


इन दिनों उ0प्र0 के बाँदा का शीलू रेप केस राष्ट्रीय स्तर पर छाया हुआ है। सभी राजनैतिक दलों ने अपनी-अपनी शैली में शीलू को हथियाने की या कहें कि शीलू केस को हथियाने की कोशिश की। राजनैतिक दलों के अलावा अन्य छोटे-बड़े सामाजिक संगठनों ने भी ताल ठोंक कर मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी।

चित्र गूगल छवियों से साभार

कुछ शीलू से मिलने को जेल के दरवाजे तक पहुँचे और कुछ ने बन्द कमरों के भीतर से ही शीलू को साथ देने का वायदा भर दोहराया। खुले और बन्द रूप में शीलू को भरपूर समर्थन मिला और इस समर्थन का प्रभाव यह हुआ कि कहीं न कहीं सरकार पर दवाब भी बनता सा दिखा। इस दवाब का परिणाम यह निकला कि आरोपी विधायक और उनके साथी जेल में भेज दिए गये तथा मायावती के जन्मोत्सव के बीच शीलू को रिहाई मिल गई।

इस पूरे प्रकरण में शीलू के साथ क्या घटित हुआ, शीलू ने विधायक निवास पर क्या किया, उस पर चोरी की रिपोर्ट कितनी सही कितनी गलत है, उसके साथ किये गये दुराचार का असली अपराधी कौन है आदि-आदि तमाम सारे वे सवाल हैं जिन पर से अभी परदा उठना बाकी है। इन सवालों के परदे के पीछे से और भी बहुत से सवाल हैं जिनका जवाब अभी आना बाकी है।

शीलू आरोपी है अथवा नहीं यह बाद की बात, विधायक आरोपी है अथवा नहीं यह भी बाद की बात किन्तु जो बात कानूनन सही है वह यह कि यदि कोई महिला किसी पुरुष पर बलात्कार का आरोप लगाती है तो (जितना हमें जानकारी है) सबसे पहले आरोपी को हवालात की सैर करवा दी जाती है, उसके बाद सही-गलत का निर्धारण किया जाता है। इस केस में तो कुछ और ही हुआ, बहरहाल अब कानून क्या करेगा यह बाद की बात है, सवाल यह खड़ा होता है कि देश में बहुत सी शीलू हैं जिनका केस अभी तक चल रहा है, बहुत सी शीलू ऐसी भी हैं जिनका केस बिना किसी ठोस सबूत के दम तोड़कर फाइलों में ही कैद बना रहा और बहुत सी शीलू ऐसी हैं जिनको अभी सामने लाये जाने की जरूरत है।

शीलू रेप केस पर अपनी ताल ठोंकने वालों की याददाश्त यदि कमजोर नहीं है तो उन्हें मधुमिता हत्याकांड याद है? कविता हत्याकांड याद है? निठारी कांड याद है? आरुषि हत्याकांड याद है? दिव्या हत्याकांड याद है? इनके अलावा फेहरिस्त और भी लम्बी हो सकती है पर इन चर्चित केस पर अब कोई उथलपुथल दिखाई पड़ रही है?

आज पता नहीं खुशी मनाई जाये या नहीं कि शीलू जेल से रिहा होकर अपने गाँव चली गई है। विधायक पर अब केस चलेगा, सबूतों-गवाहों की लम्बी और उबाऊ कार्यवाही जारी रहेगी। कुछ दिनों तक तो मीडिया और तमाम सारे समाजसेवी संगठन, राजनैतिक दल शीलू के साथ दिखाई देंगे और काफी लम्बे समय के बोरियत भरी प्रक्रिया के कारण किसी दूसरे मुद्दे की ओर मुड़ जायेंगे। चलिए कल की क्या चिन्ता करना, कल को कोई और बड़ा कांड हो जायेगा जो शीलू रेप केस से ज्यादा चर्चित होगा। अभी वर्तमान के इसी शीलू केस की बात करना है, इसी को लेकर ताल ठोंकना है तो जोर से बोलो ‘‘शीलू तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।’’ संघर्ष तो शीलू कर ही रही है क्या हम एक नारा जोर से नहीं लगा सकते? तो लगाओ नारा.......

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