आज सुबह समाचार पत्र देखा और एक समाचार पर जैसे ही निगाह गई वैसे ही हमें अपने विकसित होने का पूरा-पूरा भान हो गया। बधाई हो हम विकसित होने के साथ-साथ अब जागरूक की श्रेणी में भी भली-भांति शामिल हो चुके हैं।
बधाई इस बात की कि हमने खेलगांव को एड्स मुक्त करवा दिया है। ऐसा किसी विशेष तकनीक के द्वारा नहीं बल्कि कंडोम मशीनों के द्वारा।
बधाई हो कि हमारे व्यवस्थापकों द्वारा खेलगांव में लगाई गई कंडोम मशीनों के द्वारा आशा से अधिक कंडोम निकाले गये। आखिर ये सब गुब्बारे बनाकर किसी बच्चे का मन बहलाने के लिए तो निकाले नहीं गये होंगे। जाहिर सी बात है कि हमने विदेशी मेहमानो की खातिर का पूरा ध्यान रखा।
अब मूल बिन्दू पर कि समाचार यह था कि खेलगांव में लगाई गई मशीनों के आधार पर तीन दिनों में छह हजार कंडोम को निकाला गया। आश्चर्य तो इस बात का है कि खेलगांव में खिलाड़ियों, कोचों और अधिकारियों को परिवार सहित रहने की अनुमति नहीं है। सीधा सा अर्थ है कि सभी लोग बिना परिवार के खेलगांव में रह रहे हैं।
हम कोई समझाने का काम तो करते नहीं हैं तो समझाना नहीं, बस लिखना था लिख दिया। जो खिलाड़ी, कोच और अधिकारी आदि अपना खेल खेलने में लगे हैं उन्हें खेलने दिया जाये। नाको के सदस्य प्रसन्न हैं कि क्यों कि एचआईवी/एड्स का खतरा शून्य हो गया है।
पुनः हमारे जागरूक होने की बधाई और खेलगांव को एचआईवी/एड्स मुक्त करने की भी बधाई। अब खेल सही से खेले जायेंगे।
(समाचार हिन्दुस्तान समाचार पत्र में प्रकाशित -- दिनांक - 7 अक्टूबर 2010)
बधाई इस बात की कि हमने खेलगांव को एड्स मुक्त करवा दिया है। ऐसा किसी विशेष तकनीक के द्वारा नहीं बल्कि कंडोम मशीनों के द्वारा।
बधाई हो कि हमारे व्यवस्थापकों द्वारा खेलगांव में लगाई गई कंडोम मशीनों के द्वारा आशा से अधिक कंडोम निकाले गये। आखिर ये सब गुब्बारे बनाकर किसी बच्चे का मन बहलाने के लिए तो निकाले नहीं गये होंगे। जाहिर सी बात है कि हमने विदेशी मेहमानो की खातिर का पूरा ध्यान रखा।
अब मूल बिन्दू पर कि समाचार यह था कि खेलगांव में लगाई गई मशीनों के आधार पर तीन दिनों में छह हजार कंडोम को निकाला गया। आश्चर्य तो इस बात का है कि खेलगांव में खिलाड़ियों, कोचों और अधिकारियों को परिवार सहित रहने की अनुमति नहीं है। सीधा सा अर्थ है कि सभी लोग बिना परिवार के खेलगांव में रह रहे हैं।
हम कोई समझाने का काम तो करते नहीं हैं तो समझाना नहीं, बस लिखना था लिख दिया। जो खिलाड़ी, कोच और अधिकारी आदि अपना खेल खेलने में लगे हैं उन्हें खेलने दिया जाये। नाको के सदस्य प्रसन्न हैं कि क्यों कि एचआईवी/एड्स का खतरा शून्य हो गया है।
पुनः हमारे जागरूक होने की बधाई और खेलगांव को एचआईवी/एड्स मुक्त करने की भी बधाई। अब खेल सही से खेले जायेंगे।
बहुत ज़ोर से मारा भाई जी...............
जवाब देंहटाएंमज़ा आ गया
bahut sahi
जवाब देंहटाएंये भी तो एक खेल है सर जी.
जवाब देंहटाएंराकेश कुमार
ये भी तो एक खेल है सर जी.
जवाब देंहटाएंराकेश कुमार
सही कह रहे हो तुम, इस देश में क्या हो रहा है ये बाद की बात है पर हमें ये देखना होगा कि हम क्या कर रहे हैं? खेलगांव में हर सुविधा दी जा रही है इसी में ये सुविधा भी शामिल है, इस पर गौर न करो. आजके विचार अपनाओ. थिंक ग्लोबली
जवाब देंहटाएंहाँ एक बात और खेलगांव की इस सुविधा को उन अधिकारीयों और कोचों को ध्यान में रख कर बनाया गया होगा जो खेल नहीं खेलते वरन खिलाडियों से खेलते हैं.
जवाब देंहटाएंआगे आगे देखो होता है क्या? ये तो शुरुआत है.
जवाब देंहटाएंआगे आगे देखो होता है क्या? ये तो शुरुआत है.
जवाब देंहटाएंआगे आगे देखो होता है क्या? ये तो शुरुआत है.
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