01 अक्तूबर 2010

तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों के सीने पर तो साँप लौट गया इस फैसले से


अदालत का फैसला क्या आया तमाम सारे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों के दिलों पर साँप लोट गया। समझ ही नहीं आया कि अब कहा क्या जाये? मीडिया की बोलती बन्द, समाजवादियों की बत्तीसी दिखना बन्द, जनताधारियों की लालटेन चमकनी बन्द, लाल सलाम देने वालों की लालिमा समाप्त, चाँद-सितारों की रोशनी में खुद को बुलन्द करने वालों की चाँदनी धूमिल हुई, हिन्दुओं को देश बाँटने वाली ताकत बताने वालों की ताकत खतम।

एक
झटके में बहुतों के उस अरमान पर पानी फिर गया जो अपनी जबान को तराशे और गले की खराश को मिटाये बस इसी बात का इंतजार कर रहे थे कि कब अदालत का फैसला आये और कब वे अपनी भड़ास हिन्दुओं को साम्प्रदायिक ताकत घोषित करने को चिल्ला-चिल्ला कर आसमान सिर पर उठा लें। हाय रे! (हाय राम भी सही है) ये क्या हो गया?



इधर आज फैसले को आये लगभग चौबीस घंटे बीत गये और मीडिया तो ऐसी चिमाई साध गया (चुप लगा जाना) मानो देश में कुछ हुआ ही हो। कल तक देश का सबसे बड़ा फैसला, सदी का सबसे बड़ा फैसला, विवादित मामले पर अदालती फैसले को चिल्ला-चिल्ला कर मीडिया कई दिनों से देश में एक अलग तरह की आग लगा कर इन्हीं तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों की मदद कर रहा था। यहाँ तो एकदम से हवा ही निकल गई।

एक
पल को विचार करिये उस पल की जब इस फैसले का बहुत बड़ा भाग राम जन्मभूमि के विरुद्ध चला जाता, रामलला की मूर्तियों और हिन्दुओं के पूजा करने पर आपत्ति उठ जाती, विवादित परिसर को राम जन्मभूमि स्वीकारा गया होता (यही राम का प्रताप है कि यह सब कुछ तीनों न्यायाधीश महोदयों की सर्वसम्मति से स्वीकार्य हुआ) तो समाजवादियों के और मुसलमानों के रहनुमा नेताजी, लालटेन की चमक में देश-प्रदेश को चमकाने का दम भरने वाले और खुद को राजाओं का राजा बताने वाले, मैडम के इशारे पर अपनी आवाज को जनता के सामने लाने वाले धर्मनिरपेक्ष समर्पित खद्दरधारी, लाल टोपी पहन कर विदेशी देश के प्रति आस्था व्यक्त करने वाले देशवासी मीडिया को नहीं छोड़ते और हमारे टीवी सेट के ऊपर पिछले चौबीसों घंटे से यही छाये रहते।

अदालत
के इस फैसले को हिन्दू-मुस्लिम हार-जीत से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, इस बात की पैरवी हम भी करते हैं किन्तु इस फैसले से हिन्दुओं को एक बात की राहत जरूर मिली है कि उन्हें अब किसी रूप में इस बात की जलालत नहीं सहनी है कि वे सिद्ध करते घूमें कि उनके भगवान राम अयोध्या में ही, उसी स्थान पर जन्मे थे। हिन्दुओं को इस बात से भी राहत मिली होगी कि उन्हें राम के नाम पर गाली नहीं दी जायेगी, उन्हें देश का विभाजन करने वाला और मुसलमानों की मस्जिद (बाबरी, जो पता नहीं कि बाबर ने बनवाई अथवा मीर जाकी ने) पर कब्जा करने वाला नहीं कहा जायेगा।



राहत इस बात से भी है कि इस बात का डर नहीं रह गया कि राम इस देश की सांस्कृति विरासत नहीं हैं। कल फैसला आने तक तो डर लग रहा था कि कहीं राम को भारत के अलावा किसी और देश का सिद्ध कर दिया जाये और बाबर अथवा मीर जाकी को इसी देश का नागरिक घोषित कर दिया जाये। पता चलता कि बाबरी मस्जिद के पैरोकारों की ओर से इस तरह के कागजात दिखा दिये जाते कि राम और उनकी अयोध्या किसी और देश में घोषित हो जाती तथा बाबर और मीर जाकी जैसे विदेशी आतातयी इसी देश के सपूत सिद्ध हो जाते। चलो भला हो अदालत का और दोनों पक्षों की ओर से दाखिल दस्तावेजों का कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। गलत गलत है और सही सही है का आकलन हो गया। जो थोड़ा सा रहा-सहा विवाद है वह मुसलमान लोग मिल बैठ कर सुलझाना चाहेंगे तो देश हित में अच्छा लगेगा अन्यथा उन्हीं के द्वारा सिद्ध करने का प्रयास होगा कि वे लोग इस देश की सांस्कृतिक विरासत का नहीं अपितु विदेशी आक्रान्ताओं की जुल्म भरी विरासत को पालना-पोसना चाहते हैं।

आगे
कुछ भी हो अभी तो हिन्दुओं को राहत है और तमाम तथाकथित धर्मनिरपेक्ष ताकतें अपने-अपने बिलों में सिर घुसाये सुसुप्तावस्था में पड़ी हैं। यह सुसुप्तावस्था उनकी हताशा, कुंठा के कारण उपजी है। उनके लिए एक संदेश कि देश की मुख्य धारा में शामिल हो और देश की सांस्कृतिक धरोहर को, विरासत को सहेजने में अपना भी योगदान दो। राम सभी के हैं, वे समाजवादियों के भी हैं, जनताधारियों के भी हैं, लाल झंडे वालों के भी हैं तो मीडिया वालों के भी हैं, बस समझने-समझने का फर्क है। तो इसी बात पर जोर से बोलो-जय श्री राम, सियापति राम चन्द की जय, रामलला की जय।



दोनों चित्र गूगल छवियों से साभार लिए गए हैं

2 टिप्‍पणियां:

  1. अभी खेल खत्म नहीं हुआ...अभी तो ये लोग अपने अपने दडबों में घुसे मनमाफिक निर्णय न आ पाने का गम हल्का कर रहे होंगें....बस दो चार दिन ठहरिये.....अभी कौव्वा रौर्र मचने ही वाला है.
    जय श्री राम!

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  2. शर्मा जी से सहमत हूं
    अभी घाव सहलाये जा रहे हैं… हताशा-निराशा-कुण्ठा-दुख-गम-चोट सब चुपचाप सहा जा रहा है… जल्दी ही सेकुलर अपनी केंचुल उतारेंगे… :)

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