16 मई 2010

यौन शिक्षा - चुनौतीपूर्ण किन्तु आवश्यक प्रक्रिया - (भाग - 5)


यौन शिक्षा - चुनौतीपूर्ण किन्तु आवश्यक प्रक्रिया
डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
===================================
(5) महती रूप से आवश्यक है टीनएजर्स के लिए
===============================

‘सेक्स एजूकेशन’ को लेकर मेरा व्यक्तिगत मत है कि इसकी विशेष आवश्यकता किशोरावस्था (टीनएजर्स) को है। यदि देखा जाये तो यह वह उम्र है जो ‘सेक्स लाइफ’ को अधिकतम जिज्ञासा से देखती है; जो अधिकतम संक्रमण के दौर से गुजर रही होती है। शारीरिक-यौनिक विकास एवं परिवर्तन, विपरीत लिंगी आकर्षण, शारीरिक सम्बन्धों के प्रति जिज्ञासा उन्हें शारीरिक सम्बन्धों की ओर ले जाती है जो विविध यौनजनित रोगों (एसटीडी) उपहार में देती है। शारीरिक-यौनिक विकास एवं परिवर्तन को समझने की चेष्टा में वे किसी गलत जानकारी, बीमारी का शिकार न हों, एच0आई0वी0/एड्स जैसी बीमारियों के वाहक न बनें इसके लिए इस उम्र के लोगों को ‘सेक्स एजूकेशन’ की आवश्यकता है। ‘यौन शिक्षा’ का पर्याप्त अभाव इस आयु वर्ग के लोगों को यौनिक जानकारी की प्राप्ति के लिए अपने मित्रों, ब्लू फिल्मों, पोर्न साइट आदि का से करवाती है जो भ्रम की स्थिति पैदा करती है। इन स्त्रोतों से जानकारियाँ भ्रम की स्थिति उत्पन्न करने के साथ-साथ शारीरिक उत्तेजना भी पैदा करती है जो अवांछित सम्बन्धों, बाल शारीरिक शोषण, अप्राकृतिक सम्बन्धों आदि का कारक बनती है। अपनी शारीरिक-यौनिक इच्छापूर्ति मात्र के लिए के लिए किया गया शारीरिक-संसर्ग टीनएज प्रेगनेन्सी, गर्भपातों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ युवाओं में एस0टी0डी0, एच0आई0वी0/एड्स जैसी बीमारियों को तीव्रता से फैलाता है। एक सर्वे के अनुसार दिल्ली अकेले में एस0टी0डी0 क्लीनिक में प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या का लगभग 57 प्रतिशत 15-22 वर्ष की आयु वर्ग के लड़के-लड़कियाँ हैं। ‘यौन शिक्षा’ का अभाव इस संख्या को और भी अधिक बढ़ायेगा।

‘यौन शिक्षा’ को देने के पीछे यह मन्तव्य कदापि नहीं होना चाहिए कि युवा वर्ग सुरक्षित शारीरिक सम्बन्ध बनाये, जैसा कि लगभग एक दशक पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का कहना था कि मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन किसके साथ सोता है बस वे आपस में ‘कण्डोम’ का प्रयोग करते हों। इस प्रकार की कथित आधुनिक सोच ने ही भारतीय समाज को विचलित किया है, ‘यौन शिक्षा’ के मायने भी बदले हैं। ‘यौन शिक्षा’ के सकारात्मक एवं विस्तारपरक पहलू पर गौर करें तो उसका फलक उद्देश्यपरक एवं आशापूर्ण दिखायी पड़ेगा।

============================================
पूरा आलेख पढना चाहें तो यहाँ क्लिक करें अथवा अगले भाग का इंतज़ार करें....कल रात 8 बजे तक ...
============================================
चित्र गूगल छवियों से साभार लिए गए हैं......


2 टिप्‍पणियां: