05 अप्रैल 2010

पाकिस्तान को गरियाओ नहीं, अब वे हमारे रिश्तेदार होने जा रहे हैं, वो भी मान!!



शादी सानिया की और दिक्कत मीडिया को, राजनेताओं को, आम आदमी को....और भी बहुतों को (इन बहुतों में ब्लॉगर्स भी शामिल हैं।) आज हम भी हो लिए, लगा कि ऐसा न हो कि समय के ज्यादा निकलते ही कहीं ये मुद्दा पुराना न पड़ जाये और हम तब लिखने बैठें जब कोई पढ़ने वाला ही न मिले। यही सोचकर आज और अभी कॉलेज से आने के बाद तुरन्त लिखने बैठ गये। लाइट देवी की कृपा भी रही कि मिल गईं नहीं तो.............।


सानिया के शादी करने को लेकर देशभर में विमर्श चालू है। हमारी लेखक खोपड़ी में (जिस पर बहुतों को संदेह भी होगा, बना रहे) विचार आया कि किसी प्रकाशक से बात की जाये और तुरन्त मौके का फायदा उठाकर एक किताब छपवा ली जाये। वैसे भी देश में विमर्शों की चर्चा होती है तो बहुत से विमर्श याद आने लगते हैं। स्त्री-विमर्श, दलित-विमर्श, मुस्लिम-विमर्श, आदिवासी-विमर्श, भाषाई-विमर्श आदि-आदि। हमने ब्लॉग पर अपने दोस्तों के साथ एक विमर्श की शुरुआत कर दी है - पुरुष-विमर्श। इसी तरह दिमाग में आया कि सानिया-विमर्श को चलाया जा सकता है।

अब बात आती है परेशान होने की, तो भाई आप परेशान क्यों होते हो? क्या आप भी लाइन में थे, नहीं न, तब? अरे! कोई शादी कर रहा है तो करने दो। वैसे भी कम से कम वह लिव इन रिलेशनशिप को तो नहीं अपना रही है। देश की शान ही बढ़ा रही है कि जिस देश से शांति-वार्ता करने में, सुलह करने-कराने में हमारे देश की सरकार लाखों-करोड़ों रुपयों को स्वाहा कर देती है, वहीं सानिया ने अपने प्यार की खातिर दोनों देशों में समधियाना वाला सम्बन्ध बना दिया।

अब हमें पाकिस्तान को गाली देने का हक और भी नहीं बनता है। पहले तो रीना राय ने शादी की थी, भले ही वह लम्बे समय तक न चली हो किन्तु भारतीय मान्यताओं के अनुसार पाकिस्तान में हमारे देश की लड़की ब्याही थी। इस दृष्टि से वे हमारे मान हुए। अब सानिया शादी कर अपने ससुराल जायेंगीं और हम भारतवासियों को पाकिस्तान का रिश्तेदार बनायेंगी। अब फिर अपनी लड़की वहाँ दी, अपनी बहिन-बेटी दी तो पाकिस्तान हमारा मान फिर से हुआ। अब चरण पखारने होंगे।

अरे! आप क्या कह रहे हो, आपकी बहिन-बेटी नहीं है सानिया? अच्छा तभी आपको ज्यादा मिर्ची लग रही है उसकी शादी से। कोई बात नहीं, आप कर भी क्या सकते हो। चले जाना शादी में कुर्सी, पंडाल वगैरह एकसा करवाने को, मेहमानों को खाना-पानी करवाने को।

भारत-पाकिस्तान के आपसी सम्बन्धों को बनाने में जो काम हमारे राजनेता, क्रिकेटर नहीं कर सके वह सानिया ने कर दिया। वाह सानिया! वाह!

इसके अलावा एक काम और भी किया है सानिया ने। नहीं पता, स्त्री-सशक्तिकरण का। उसने शादी की तो एक शादीशुदा से, यह अपने आपमें सशक्तिकरण का प्रतीक नहीं है? है भाई, आप सोचिएगा, यदि आप इसमें सशक्तिकरण नहीं खोज पाये तो हमें बताइयेगा, हम आपको बहुत से कारण बता देंगे। तब तक, खिसियाओ नहीं, शादी होती है तो होने दो।

मीडिया वालो, तुम भी देश की दूसरी समस्याओं पर ध्यान दो। शादी में तुमको निमंत्रण तो मिलेगा नहीं, फिर सड़के के किनारे खड़े होकर ताकना और झाँक-झाँक कर, कूद-कूद कर फोटो लेते रहना। कुछ ऐसा ही तो किया था तुम सबने अभिषेक की शादी में, भूल गये? भूल ही जाओगे, अपनी इज्जत से जुड़ी बात तो तुरन्त भूल जाते हो, कम से कम देश की इज्जत तो रख ही लो, देश की मीडिया की इज्जत तो रख ही लो। तुम लोगों से ही उम्मीद है क्योंकि देश की जनता जो आम है, उसके पास करोड़ों के खर्चे वाली शादी देखने के मौके कम ही आते हैं।

लगी रहो सानिया, ये टुच्चे आशिक तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। तुम देश की शान हो, अब हम पाकिस्तान को रिश्तेदार कहने की स्थिति में आ गये हैं।

गर्व करो कि हम भारतीय हैं।






(चित्र गूगल छवियों से साभार)