29 सितंबर 2008

जाने चले जाते हैं कहाँ?

जाने वाले जाने चले जाते हैं कहाँ? ये पंक्तियाँ किसी गाने की हैं पर आज भी हमारे किसी खास के कहीं दूर चले जाने पर मन के किसी कोने में गूंजती रहतीं हैं. देश के दो दिग्गज अपनी जीवन-यात्रा को पूरा कर हमारे बीच से चले गए और हमें ख़बर तक नहीं हो सकी. क्या हम संवेदना-शून्य हो गए हैं या फ़िर हमने अपनी संकुचित दुनिया से बाहर देखना छोड़ दिया है? ये भी हो सकता है कि मीडिया के सहारे बैठे हम लोगों को अपने क्षेत्र से बाहर की ख़बर तब तक नहीं मिलती है और मीडिया कभी-कभी कुछ ख़बरों को आम समझ कर छोड़ देता है।
यदि देखें तो अपने-अपने क्षेत्र के इन दो व्यक्तित्वों में भुलाने जैसी कोई बात नहीं है. इनमें एक हैं साहित्य-जगत का जाना-माना नाम प्रभा खेतान का और दूसरे हैं गायकी में अपना अहम् मुकाम बनाने वाले महेंद्र कपूर. मेरे विचार से महेंद्र कपूर को तो सभी जानते होंगे क्योंकि उन्हों ने अपने मधुर गीतों के द्वारा अपनी अलग पहचान बनाई. 'मेरे देश की धरती' हो या फ़िर 'नीले गगन के तले' या फ़िर और भी दूसरे गीत सभी के सहारे महेंद्र कपूर ने अपनी अलग जगह बनाई. इसके ठीक उलट प्रभा खेतान को साहित्य से जुड़े लोग ही जानते होंगे, इसमें भी थोड़ा शक इस बात का है कि जो तथाकथित लेखक बन गए हैं वे भी इस नाम से अनजान होंगे. यदि नाम सुना भी होगा तो उनको मालूम नहीं नहीं होगा कि प्रभा जी का साहित्य को क्या योगदान है?

यहाँ मेरा मकसद प्रभा जी के साहित्यिक योगदान की चर्चा करना नहीं है वरन ये बताना है कि एक ऐसे व्यक्तित्व को जिसने नारी-अस्मिता के लिए सकारात्मक लड़ाई लदी, स्त्री-विमर्श के क्षेत्र में सीमोन दा बोउआर के नाम की अलख जगा कर पुरूष समाज को कोसा जाता है, उन सीमोन की प्रसिद्द पुस्तक The Second Sex का हिन्दी अनुवाद "स्त्री उपेक्षिता" प्रभा खेतान ने ही किया था. और भी बहुत कुछ है बताने को इनके बारे में पर अभी नहीं................. मीडिया की नजरों में शायद इन दोनों लोगों की अहमियत कुछ कम थी या कहें कि थी ही नहीं इस कारण महेंद्र कपूर को तो समाचारों में स्थान मिला पर प्रभा जी इससे अछूती रह गईं।

फिलहाल मीडिया तो ग़लती करता ही रहेगा कारण टी आर पी का सवाल है पर हम सब जो प्रभा खेतान के नाम से परिचित हैं, महेंद्र कपूर की आवाज़ से मोहित हैं, इन दोनों शख्सियतों को श्रद्धांजलि देते हैं.

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रभा खेतान और महेंद्र कपूर को श्रद्धांजलि.

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  2. महेंद्र कपूर जी सुरीले गीत के जरिये एवं प्रभा खेतान जी उनके लेखों के जरिये सदा दिल मैं रहेंगे . दोनों को श्रद्धांजलि.

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