देश में एक तरफ राजनीति के प्रति रुचि, सकारात्मक सोच रखने
वालों द्वारा राजनैतिक सुधार पर जोर दिया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ राजनीति में
सक्रिय लोगों द्वारा इसे अपनी थाती मानकर उसको प्रदूषित करने का काम किया जा रहा
है. ऐसे में देश की अदालतों द्वारा राजनैतिक सुधार की दिशा में ऐतिहासिक फैसले
सुनाये गए है. एक तरफ उच्चतम न्यायालय ने सजा पाने वाले (२ वर्ष) सांसदों-विधायकों
के प्रतिनिधित्व को ख़ारिज करने वाला फैसला सुनाया वहीं उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय
ने जातिगत रैलियां करने पर रोक लगाने सम्बन्धी फैसला सुनाया है. इसके पूर्व अभी
हाल में मुफ्त बाँटे जा रहे सामानों पर और पार्टियों के घोषणा-पत्रों में लुभावने
वादों पर भी उच्चतम न्यायालय द्वारा अपनी राय व्यक्त की गई है. इन फैसलों से उन
लोगों को अवश्य ही प्रोत्साहन मिला होगा जो राजनैतिक सुधारों के लिए लगातार
प्रयासरत हैं.
.
उच्चतम न्यायालय का हालिया फैसला वाकई ऐतिहासिक माना जायेगा
क्योंकि इसमें उन लोगों पर भी चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की बात कही गई है जो जेल
में बंद हैं. जन प्रतिनिधित्व कानून का अपनी तरह से प्रयोग करने वाले नेताओं ने
देश की राजनीति को एक तरह से खेल बनाकर रख दिया है. इस नियम का मखौल बनाकर राजनीति
का अपराधीकरण कर दिया है. एक गंभीर और चिंतनशील प्रक्रिया को उन्होंने पूरी तरह से
अपने कब्ज़े में कर रखा है. यही कारण है कि आज लोगों का राजनीति की तरफ से मोह भंग
होता जा रहा है और लोग राजनीति को सिर्फ और सिर्फ गाली देते दिखाई देते हैं. चाहे
संसद सदस्य का निर्वाचन हो अथवा विधानसभा सदस्यों का, धन का अंधाधुंध दुरुपयोग,
असलहाधारियों का आतंक, अपराधियों का सदन में पहुँचना, जनप्रतिनिधि बनने के बाद लगातार
घोटाले, भ्रष्टाचार करना आज आम बात हो गई है.
.
राजनैतिक प्रदूषण के शुद्धिकरण के प्रति उच्चतम न्यायालय का
ये निर्णय एक सकारात्मक कदम है. इससे अपराधियों के राजनीति में आने पर अंकुश लगेगा
और उन लोगों को राजनीति में आने के लिए बल मिलेगा जो वाकई देश-हित में राजनीति
करना चाहते हैं. हो सकता है कि सदन में बैठे वे शीर्सस्थ राजनीतिज्ञ, जो कहीं न
कहीं अपने राजनैतिक जीवन को खतरे में देख रहे हैं, कोई जुगत भिड़ाने का कुचक्र
चलायें जिससे उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से बचा जा सके. फ़िलहाल ये तो भविष्य के
गर्भ में है और वर्तमान में न्यायालय का ये निर्णय राजनैतिक सुधार की दिशा में व्यापक
रौशनी लेकर आया है.
.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें