अपनी धरती, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा का अभिमान रहे।
हिन्दी ध्वजा फहराने का, दिल में एक अरमान रहे।।
संस्कृत की संस्कृति से पल्लवित,
युगों-युगों से जो है सुरभित,
जन-जन में है जो प्रतिष्ठित,
उस गौरव गाथा का, पल-पल हमको भान रहे।
हिन्दी ध्वजा फहराने का, दिल में एक अरमान रहे।।
वाणी सूर कबीर तुलसी की,
दिव्य ज्ञान है आज भी देती,
प्रसाद निराला और महादेवी,
हैं कितने ही भाषा के प्रहरी,
हिन्दी भाषी आभामण्डल, बना सदा दैदीप्यमान रहे।
हिन्दी ध्वजा फहराने का, दिल में एक अरमान रहे।।
धर्म कर्म ज्ञान योग में समृद्ध,
वैभव निज भाषा का उन्नत,
सोचो क्यों कर बैठे विस्मृत,
बिन निजता क्या होंगे विकसित,
संस्कार और मर्यादा की, बनी हमेशा शान रहे।
हिन्दी ध्वजा फहराने का, दिल में एक अरमान रहे।।
ज्ञानदायिनी उनकी भाषा
दुष्प्रचार में लगे हुए हैं,
जिससे सीखा सकल विश्व ने
उस भाषा को भुला रहे हैं,
ओढ़ आवरण गैरों का हम
खुद अपने को मिटा रहे हैं,
लिए खड़े हैं बैशाखी और
धोखा है कि दौड़ रहे हैं,
एक राष्ट्र और एक निशान की, अपनी एक पहचान रहे।
हिन्दी ध्वजा फहराने का, दिल में एक अरमान रहे।।
चित्र गूगल छवियों से साभार
धर्म कर्म ज्ञान योग में समृद्ध, वैभव निज भाषा का उन्नत, सोचो क्यों कर बैठे विस्मृत, बिन निजता क्या होंगे विकसित......
जवाब देंहटाएंमन को झकझोरती सुन्दर रचना
शानदार रचना राजा साहेब नेता जी मास्टर साहेब...
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस पर बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं
हिंदी की जय बोल |
जवाब देंहटाएंमन की गांठे खोल ||
विश्व-हाट में शीघ्र-
बाजे बम-बम ढोल |
सरस-सरलतम-मधुरिम
जैसे चाहे तोल |
जो भी सीखे हिंदी-
घूमे वो भू-गोल |
उन्नति गर चाहे बन्दा-
ले जाये बिन मोल ||
हिंदी की जय बोल |
हिंदी की जय बोल --
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है कृपया पधारें
जवाब देंहटाएंचर्चामंच-638, चर्चाकार-दिलबाग विर्क